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केंद्र ने माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज करने को कहा

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों से कहा कि वे माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज करें. विशेष तौर पर अंतर राज्यीय सीमाओं पर कार्रवाई तेज करने को कहा गया है क्योंकि माओवादियों ने अपने कैडरों का मनोबल बढाने के लिए इन सीमाओं पर जबर्दस्त हमले शुरु कर दिये हैं. झारखंड में […]

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों से कहा कि वे माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज करें. विशेष तौर पर अंतर राज्यीय सीमाओं पर कार्रवाई तेज करने को कहा गया है क्योंकि माओवादियों ने अपने कैडरों का मनोबल बढाने के लिए इन सीमाओं पर जबर्दस्त हमले शुरु कर दिये हैं. झारखंड में नक्सल हमले में एक पुलिस अधीक्षक और चार अन्य की मौत के एक दिन बाद गृह मंत्रलय ने राज्यों से कहा कि वे केंद्रीय बलों और पडोसी राज्यों के पुलिसबलों के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाकर माओवादियों के मजबूत प्रभाव वाले इलाकों से उनका (नक्सलियों का) सफाया कर दें.

केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों के हालात की समीक्षा की गयी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को निर्देश दिया गया कि वे जरुरत पडने पर माओवादियों के खिलाफ अभियान की अगुवाई करें. बैठक में खुफिया ब्यूरो प्रमुख एस ए इब्राहिम, सीआरपीएफ महानिदेशक और गृह मंत्रलय में सलाहकार के विजय कुमार मौजूद थे. सूत्रों ने कहा कि कोर एरिया (प्रभाव वाले क्षेत्रों) में माओवादियों पर दबाव है इसलिए वे अन्य जगहों (नान कोर एरिया) पर पुलिस, नेताओं और नौकरशाहों पर हमले कर ध्यान बंटाना चाहते हैं. कल पाकुड जिले के पुलिस अधीक्षक पर हमला नक्सलियों की इसी नई रणनीति का परिणाम था. सुरक्षाबलों को निर्देश दिया गया है कि वे अन्य क्षेत्रों में नुकसान से बचें और साथ ही माओवादियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई कर दबाव बनाये रखें.

झारखंड में कल पुलिस दल पर हुए नक्सली हमले को सुनियोजित बताते हुए सूत्रों ने संदेह व्यक्त किया कि हमले में माओवादियों का कोई स्थानीय समूह शामिल हो सकता है जो संथाल परगना इलाके में गतिविधियां चला रहा है. ये समूह छोटा हो सकता है और बहुत अधिक सक्रिय नहीं है.उन्होंने बताया कि माओवादियों को पता था कि जंगल के रास्ते में किस जगह वाहनों की रफ्तार धीमी होगी और उसी जगह पर उन्होंने पुलिस दल के वाहनों को चारों ओर से घेरकर फायरिंग की. उन्हें संभवत: पता था कि दुमका में कोई बैठक हो रही है और वापसी के लिए एक ही रास्ता है. सूत्रों के अनुसार 2009 के बाद के नक्सल विरोधी अभियानों से माओवादी समूह लगभग सिमट गये हैं और अब वे अपने इलाकों से बाहर निकलना चाहते हैं. उन्हें नये इलाकों की तलाश है. ऐसे में नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों की अंतर राज्यीय सीमाओं पर, जहां माओवादियों की सक्रियता अधिक है, ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है.

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