नयी दिल्लीः अब किसी भी वजह से जान देने की कोशिश करने वालों को जेल नहीं जाना पडेगा. सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या करने का प्रयास) को खत्म करने का निर्णय लिया है.
मौजूदा कानून के अनुसार यदि कोई खुदकुशी करने की कोशिश करता है तो उसको भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है. और दोष साबित हो जाने पर उसे सजा के तौर पर एक साल की जेल या जुर्माना अथवा दोनों दंड दिये जाने का प्रावधान है.
आज संसद में इसकी जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि 18 राज्य और 4 केंद्र शासित क्षेत्र धारा 309 को खत्म करने के पक्ष में हैं. गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि राज्यों की राय पर केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इस धारा को आईपीसी से हटा दिया जाए.
अगस्त में गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि धारा 309 को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाना चाहिए. आयोग ने कहा था कि यह कानून मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं है. इस कानून को हटाने से आत्महत्या की कोशिश के बाद मानसिक प्रताड़ना झेल रहे लोगों को कानूनी अड़चनों में फंसकर अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस मार्कण्डेय काटजू और ज्ञान सुधा मिश्रा की बेंच ने भी संसद को सुझाव दिया था कि इस कानून को खत्म किया जाए. उन्होंने कहा था कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में आकर ही आत्महत्या की कोशिश करता है और नाकाम रहने पर उसे कानूनी पेंच में फंसकर और अधिक डिप्रेशन झेलना पडता है.