विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़े रुस को मिला पुराने दोस्त भारत का सहारा
मनोज अग्रवाल नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिले. दोनों के बीच कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता हुई. दोनों ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम, गैस मेडिकल रिसर्च, फौजी ट्रेनिंग पर समझौता शामिल है. साझा बयान में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी […]
मनोज अग्रवाल
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिले. दोनों के बीच कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता हुई. दोनों ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम, गैस मेडिकल रिसर्च, फौजी ट्रेनिंग पर समझौता शामिल है.
साझा बयान में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी दोस्ती भरोसे पर आधारित है. हमारी दोस्ती का मुकाबला नहीं. चुनौतियों में रूस हमारे साथ है. मोदी ने कहा कि रूस भारत का सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी है. हमने साथ मिलकर सैन्य अभ्यास किया है. रूस ने हमें एडवांस हेलीकॉप्टर दिए हैं. ऊर्जा के क्षेत्र में भी वह हमारा सहयोगी है. भारत के लिए विकल्प बढ़ा है, लेकिन रूस हमारा सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी बना रहेगा. वहीं पुतिन ने साझा बयान में कहा कि हमारे द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर हुए. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि समय बदल गया है, लेकिन हमारी मित्रता में कोई बदलाव नहीं आया है. अब हम इस संबंध को अगले स्तर पर ले जाना चाहते हैं और यह यात्रा उस दिशा में एक कदम है.
वैसे यह बात किसी सी छिपी नहीं है कि भारत-रुस की वर्षों से गहरी मित्रता रही है. मुश्किल में घिरी अपनी इकॉनमी को संभालने के लिए पुतिन भारत के साथ सोवियत के जमाने जैसा प्रगाढ़ संबंध चाहते हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 अरब डॉलर का है, जो रूस-चीन के व्यापार के मुकाबले उसका नौवां हिस्सा है. जानकार बताते हैं कि दुनिया के देशों से अलग-थलग पड चुके रुस को अभी भारत जैसे राष्ट्र का एक सहारा मिल गया है. गौरतलब है कि यूक्रेन मुद्दे को लेकर रुस को जी-8 की सदस्यता से भी बाहर कर दिया गया है. ऐसे में रुस विश्व के मजबूत और विकसित देशों से अलग-थलग पड गया है.
ऐसे में पीएम मोदी कीरुसको लेकर गर्मजोशीऔर फिर राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा यह दर्शाता है कि जितना इच्छुक भारत रुस के साथ रिश्ते को लेकर है उससे कहीं अधिक उत्साह पुतिन में दिख रहा है. मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर पुतिन ने कहा था कि भारत का नेतृत्व एक ऐसे जाने माने राजनीतिक नेता के हाथों में है जिन्होंने दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने के लिए पहले ही महान योगदान दिया है.
पुतिन ने 10 दिसंबर को अपनी भारत यात्रा से पहले एक साक्षात्कार में कहा था ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि नयी सरकार के साथ हम उपयोगी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद बहुस्तरीय संपर्को को जारी रखेंगे. विशेष रूप से इसलिए भी कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने कई बार यहां का दौरा किया है और इस क्षेत्र व भारतीय प्रांत के बीच भाईचारे के संबंधों की स्थापना की है.’’
भारत में नयी मोदी सरकार बनने के बाद जब उनसे पूछा गया कि इस वर्ष भारत में सरकार परिवर्तन होने से क्या रुस भारत संबंधों में विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर कुछ असर पड़ेगा. इस पर रुस के राष्ट्रपति ने कहा कि रुस और भारत के बीच संबंध कभी भी अटकलों के शिकार नहीं हुए हैं. ऐतिहासिक युगों के परिवर्तन, राजनीतिक और राजकीय नेताओं के आने-जाने के बावजूद हमारे देश बहु आयामी द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत बनाने में एक-दूसरे के विश्वसनीय भागीदार रहे हैं. उन्होंने कहा, मिसाल के तौर पर रणनीतिक साझेदारी के ऐतिहासिक घोषणापत्र पर 14 साल पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हस्ताक्षर किए थे, जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों देशों के संबंधों के स्वरूप पर उन्होंने कहा कि भारत के साथ रिश्तों में अगर हम परिवर्तन की बात करें तो यह बिलकुल दूसरी तरह का परिवर्तन होगा.
उपरोक्त बातों से ऐसा माना जा सकता है कि जब दुनिया के देश रुस से कन्नी काट रहे हैं उन्हें अलग-थलग कर रहे हैं ऐसे में भारत जैसे बड़े और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश के साथ उनके मजबूत होते रिश्ते से कम-से-कम मौजूदा हालात में रुस को एक मजबूत सहारा मिल गया है.