जयललिता के आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई की तारीख में बदलाव नहीं

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री के आय से अधिक संपत्ति से संबंधित मामले में दायर जमानत याचिका पर 18 दिसंबर से पहले सुनवाई करने से आज इंकार कर दिया.इस मामले में जयललिता को विशेष अदालत ने चार साल जेल की सजा सुनायी थी. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2014 8:18 PM

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री के आय से अधिक संपत्ति से संबंधित मामले में दायर जमानत याचिका पर 18 दिसंबर से पहले सुनवाई करने से आज इंकार कर दिया.इस मामले में जयललिता को विशेष अदालत ने चार साल जेल की सजा सुनायी थी.

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 17 अक्तूबर को जयललिता को जमानत देते हुये उनकी याचिका का निबटारा नहीं किया था.न्यायालय ने यह सुनिश्चित कराने के लिये जमानत याचिका लंबित रखी थी कि वह विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ दो महीने के भीतर कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपील के साथ सारे दस्तावेज और रिकार्ड दाखिल करें.
न्यायालय ने इस मामले को 18 दिसंबर के लिये सूचीबद्ध करते हुये कहा था, ‘‘यदि दो महीने के भीतर पेपर बुक दाखिल नहीं की गयी तो हम आपको एक दिन की भी मोहलत नहीं देंगे.’’ जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन ने न्यायालय से इसकी पहले सुनवाई करने का अनुरोध किया.लेकिन न्यायालय ने इसकी अनुमति नहीं दी.
भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी इस मामले का उल्लेख किया.उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के वकील से सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया क्योंकि वह उच्च न्यायालय में दायर अपील का विरोध करना चाहते हैं.
स्वामी ने न्यायालय कक्ष के बाहर बताया, ‘नरीमन ने मुङो आश्वासन दिया है कि उन्हें सारे दस्तावेज मुहैया करा दिये जायेंगे.’’शीर्ष अदालत ने जयललिता को इसी शर्त पर जमानत दी थी कि उनकी सजा के खिलाफ अपील पर उच्च न्यायालय में पांच महीने के भीतर सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए.
बेंगलुरु की विशेष अदालत ने 27 सितंबर को जयललिता और शशिकला तथा दो अन्य रिश्तेदारों को सजा सुनायी थी.उच्च न्यायालय ने इस सजा को निलंबित करने से इंकार कर दिया था. उच्च न्यायालय ने उन्हें और उनकी निकट सहयोगी शशिकला तथा दो अन्य रिश्तेदारों को जमानत देने से भी इंकार कर दिया था. इसके बाद, जयललिता ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.

Next Article

Exit mobile version