जानिये, इंदिरा गांधी ने प्रणब दा को क्यों लगायी थी फटकार ?

नयी दिल्ली: इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी को बड़ी फटकार लगायी थी. प्रणब को मिलने वाली इस फटकार का कारण यह था कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इंदिरा गांधी की इच्छा के विपरीत 1980 का लोकसभा चुनाव लडा था और जब वह हार गए थे तब इंदिरा गांधी ने उन्हें काफी देर तक फटकार लगायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2014 3:33 PM

नयी दिल्ली: इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी को बड़ी फटकार लगायी थी. प्रणब को मिलने वाली इस फटकार का कारण यह था कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इंदिरा गांधी की इच्छा के विपरीत 1980 का लोकसभा चुनाव लडा था और जब वह हार गए थे तब इंदिरा गांधी ने उन्हें काफी देर तक फटकार लगायी थी लेकिन हारने के बाद भी उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रवेश मिल गया था.

मुखर्जी पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इतना विश्वास था कि उन्होंने (दिवंगत) ए पी शर्मा समेत कई वरिष्ठ नेताओं के दावे को दरकिनार कर उन्हें राज्यसभा में सदन का नेता भी बना दिया.अब राष्ट्रपति, मुखर्जी ने इन अफवाहों का खंडन किया कि उन्हें मंत्रिमंडल में इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि इंदिरा गांधी 22 लोगों की टीम चाहती थीं और 22 ज्योतिष की दृष्टि से शुभ समझा गया था, दूसरी बात भागवत झा आजाद ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
राष्ट्रपति ने अपनी पुस्तक ‘द ड्रैमेटिक डिकेड: द इंदिरा गांधी इयर्स’ में उन दिनों के घटनाक्रम को याद किया जब इंदिरा गांधी जनवरी, 1980 में सत्ता में लौटी थीं. रुपा पब्लिकेशंस ने अभी हाल ही में यह पुस्तक जारी की है. मुखर्जी ने लिखा है, ‘‘इंदिरा गांधी हमेशा की तरह 1980 के चुनाव में मजबूती और विश्वास के साथ उतरीं. मुझे चुनाव लडने के लिए मूल और निष्ठावान कांग्रेसजनों को चुनने का काम मिला था, इंदिरा गांधी ने मुझे ऐसे लोगों को चुनने की सलाह दी जो सरकार चला सकें. उन्हें अपनी चुनावी जीत का इतना भरोसा था. ’’?
राष्ट्रपति ने लिखा है, ‘‘उन्होंने 1980 में मुझे लोकसभा चुनाव नहीं लडने की स्पष्ट सलाह दी लेकिन मेरे हठ करने पर वह मान गयीं. मैं बोलपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडा और 68,629 मतों के अंतर से हार गया…इस निर्णायक वोट ने मुझे निरुत्साहित कर दिया.’’ उन्होंने पुस्तक में कहा कि उनकी पत्नी गीता पहले ही दिल्ली चली गयी थीं और जब चुनाव नतीजा आया तब उन्होंने उसी दिन दिल्ली बुलाया और कहा कि इंदिरा गांधी उनसे मिलना चाहती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं शाम की उडान से दिल्ली लौट आया और इंदिरा गांधी से मिलने सीधे विलिंगडन क्रीसेंट गया. यह कहना चीजों को कमकर पेश करना नहीं होगा कि वह चुनाव लडने की मेरी जिद्द से नाखुश थीं. ’’उन्होंने कहा कि संजय गांधी ने उनसे कहा कि जब से उन्होंने मेरी हार की खबर सुनी है तब से काफी नाराज हैं और जब उनसे मिला तो यह बात साबित हो गयी.
राष्ट्रपति ने लिखा है, ‘‘मेरी कैफियत तलब की गयी. रात करीब नौ बजे का वक्त था और वह भोजनकक्ष में एक बडी डायनिंग मेज के एक छोर पर बैठी थीं. उन्हें सर्दी जुकाम हो गया था और वह गर्म पानी में अपना पैर डाली हुई थीं. ’’उन्होंने उस शाम इंदिरा गांधी से हुई मुलाकात को याद करते हुए पुस्तक में कहा है, ‘‘मैं डायनिंग मेज के दूसरे छोर पर खडा था और मुझे कडी फटकार पडी और ऐसा जान पडता है कि यह सिलसिला काफी देर तक चला.
उनकी इच्छा के विरुद्ध बोलपुर से चुनाव लडने के गलत निर्णय लेने को लेकर मुझे डांट पडी और मुझसे कहा गया कि अविवेकपूर्ण फैसलों से परिश्रम से किए गए अन्य मेरे कार्य महत्वहीन हो गए. ’’

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