नयी दिल्ली : विदेशों में जमा भारतीयों के कालाधन पर शुक्रवार को एक बड़ा सच सामने आया. एचएसबीसी की सूची में जिन 628 भारतीय लोगों व इकाइयों का उल्लेख है, उनमें से 289 के खातों में कोई राशि जमा नहीं है. काले धन के मामलों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रपट में उक्त खुलासा किया है. हालांकि, खाताधारकों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है. फ्रांस की सरकार ने एचएसबीसी की जिनीवा शाखा के भारतीय खाताधारकों की सूची भारत को दी थी. काले धन पर एसआइटी की दूसरी रिपोर्ट का ‘प्रासंगिक हिस्सा’ को सार्वजनिक करते हुए आधिकारिक बयान में कहा गया कि ‘628 व्यक्तियों/ इकाइयों में से 201 या तो प्रवासी हैं या उनका अता-पता नहीं है. इसके बाद 427 मामले ही कार्रवाई योग्य बचते हैं.’
इन मामलों से जुड़ी राशि 4,479 करोड़ रुपये है. आयकर विभाग ने इनमें से 300 से अधिक मामलों में 79 इकाइयों के खिलाफ आकलन को अंतिम रूप दिया है. ‘इनके खातों में अघोषित राशि पर 2,926 करोड़ रुपये बतौर टैक्स लिए गये हैं. साथ ही आयकर कानून के तहत 46 मामलों में जुर्माना प्रक्रिया भी शुरू की गयी है. अब तक इस तरह के तीन मामलों में जुर्माना लगाया गया है. छह मामलों में जानबूझकर कर चोरी के प्रयास का अभियोजन शुरू किया गया है. दस अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किये गये हैं. अन्य मामलों में कार्रवाई जारी है.
झारखंड सहित कई राज्यों में कार्रवाई
एसआइटी की रपट में विभिन्न मामलों के बारे में ताजा जानकारी देते कहा गया है कि राजस्व आसूचना निदेशालय ने लौह अयस्क से जुड़े 31 मामलों में सूचना जुटायी है, जिसमें 11 पक्षों ने कम मूल्यांकन (अंडर वेल्यूशन) स्वीकार किया. 116.73 करोड़ रुपये का भुगतान किया. अन्य मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ईडी ने 400 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की है और ओड़िशा में खनने मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया. रपट पर एक नजर : –
काले धन पर एसआइटी के सुझाव
यूरोपीय देशों की तर्ज पर एक सीमा तक ही नकदी रखने व लाने की अनुमति मिले. इसकी सीमा 10 से 15 लाख के बीच हो. एक लाख रुपये से अधिक नकदी व चेक भुगतान पर पैन संख्या अनिवार्य हो. इससे अघोषित संपत्ति रखने पर काबू पाने में मदद मिलेगी. एक- स्थान से दूसरे स्थान तक अघोषित नकदी पहुंचाने पर भी काबू पाया जा सकेगा,जो इस समय खुलेआम होता है.
देश के निर्यात/आयात आंकड़ों को उसी अवधि के दौरान दूसरे देशों के आंकड़ों के साथ तिमाही आधार पर मिलान करने की संस्थागत प्रणाली स्थापित हो. शिपिंग बिल में संबंधित सामान व मशीनरी का अंतरराष्ट्रीय मूल्य भी शामिल हो, जिसका निर्यात किया जाना है.
खनन, पोंजी योजना, लौह अयस्क निर्यात व अन्य आयात/निर्यात प्रक्रियाओं पर व ‘अंगडिया’ पर पैनी नजर.‘ अंगडिया’ लोग गुजरात व महाराष्ट्र में ‘ नकदी लाने ले जाने वाले’होते हैं.
त्न 50 लाख रुपये या इससे अधिक की कर चोरी को ‘निर्दिष्ट अपराध’ बनाया जाये, ताकि इसमें मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के तहत कार्रवाई की जा सके.
जिन मामलों में कोई व्यक्ति या फर्म नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेश में संपत्ति जुटाने का दोषी पाया जाता है उन मामलों में फेमा में यह प्रावधान हो कि समान राशि की संपत्ति देश में ही जब्त की जा सके.
प्रवर्तन एजेंसियों, वित्तीय आसूचना इकाई व अन्य भागीदारों एजेंसियों के बीच सक्रियता के साथ संवाद हो.
जिन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय ने संपत्ति कुर्क की है और आयकर बकाया है. वहां प्रवर्तन निदेशालय के पास बकाया वसूली कुर्क संपत्ति से करने का विकल्प हो.
केंद्रीय केवाइसी रजिस्टरी स्थापित किया जाये, ताकि वित्तीय लेन देन में कई तरह के पहचानपत्रों के इस्तेमाल पर रोक लग सके.
आयकर अभियोजन के 5000 लंबित मामलों से निबटने के लिए मुंबई में कम से कम पांच अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालतें गठित हों.