नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामा मस्जिद पुनर्विकास योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए एक याचिका पर पीडब्ल्यूडी से तब जवाब मांगा जब उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने कहा कि यह परियोजना अब उसके पास नहीं है.
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जामा मस्जिद का पुनर्विकास : कोर्ट ने PWD से मांगा जवाब
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामा मस्जिद पुनर्विकास योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए एक याचिका पर पीडब्ल्यूडी से तब जवाब मांगा जब उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने कहा कि यह परियोजना अब उसके पास नहीं है. एनडीएमसी ने न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ के समक्ष कहा कि […]
एनडीएमसी ने न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ के समक्ष कहा कि 10 नवंबर को सभी हिस्सेदारों की हुई बैठक के अनुसार पुनर्विकास योजना लोक निर्माण विभाग को सौंप दी गई है.
पीठ ने कहा कि इसलिए हम पीडब्ल्यूडी को पक्षकार के तौर पर जोडेंगे. उसे अगली सुनवाई से पहले स्थिति रिपोर्ट दायर करने दें. 25 फरवरी को मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. अदालत इलाके के दुकान मालिकों और विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न एसोसिएशनों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इन दुकान मालिकों और विक्रेताओं को पुनर्विकास योजना को लागू करने के लिए कथित तौर पर विस्थापित कर दिया गया है.
सभी संबद्ध एजेंसियों से कानूनी अनुमति हासिल करने के साथ-साथ परियोजना की अनुमानित लागत के तौर पर 168 करोड़ रुपये की मंजूरी के बावजूद याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विकास योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने में अधिकारियों की तरफ से कथित निष्क्रियता का आरोप लगाया.
पांच नवंबर को अदालत ने एनडीएमसी को जामा मस्जिद इलाके के पुनर्विकास के लिए उठाए गए कदमों पर तब दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने को कहा था जब नगर निकाय ने कहा कि उसने इस संबंध में निविदा आमंत्रित की है.
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