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महाभारत राजनीति की शिक्षा का महान स्रोत : आडवाणी

नयी दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की वकालत किये जाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज लोगों से महाभारत और रामायण पढने का आग्रह किया और कहा कि ये महाकाव्य राजनीति और नैतिकता पर ज्ञान के बडे़ स्रोत हैं. आडवाणी ने आजादी के […]

नयी दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की वकालत किये जाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज लोगों से महाभारत और रामायण पढने का आग्रह किया और कहा कि ये महाकाव्य राजनीति और नैतिकता पर ज्ञान के बडे़ स्रोत हैं.

आडवाणी ने आजादी के पहले के अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उनकी दादी उनसे महाभारत को पूरी तरह नहीं बल्कि टुकड़ों में पढने को कहा करती थी क्योंकि ऐसी मिथक थी कि महाकाव्य को घर में रखना मनहूस है.

उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि महाभारत के अलावा कोई दूसरा महाकाव्य शिक्षणशास्त्र का इतना बड़ा स्रोत, राजनीति पर सूचना का महान स्रोत और साथ ही नैतिक शिक्षा, एकता और साहस का इतना बड़ा स्रोत नहीं है.

पूर्व उपप्रधानमंत्री यहां प्रसिद्ध पत्रकार और उर्दू अखबार दैनिक प्रताप के प्रमुख के नरेन्द्र की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे.

आडवाणी ने कहा कि उन्होंने ईसाई मिशनरी स्कूल में शिक्षा पायी है और महाभारत, रामायण और भागवत गीता उन्होंने सिंधी और अंग्रेजी भाषा में पढी है. आजादी के बाद उन्होंने इन ग्रंथों को हिंदी में पढा.

इस मौके पर पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसंपर्क अधिकारियों को सम्मानित किया गया.पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए जिन लोगों को मीडिया रतन पुरस्कार प्रदान किया गया उनमें अजय कौल, गिरीश निशान, ज्ञानेन्द्र पांडेय,अरविंद सिंह, सुमित अवस्थी, दिलवर गोठी, प्रशांत मिश्र और शेखर घोष शामिल हैं.

पुरस्कार समारोह में भाजपा सांसद रमेश बिधूडी और दैनिक प्रताप के संपादक अनिल नरेन्द्र भी उपस्थित थे.

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