नयी दिल्ली : सीबीआई ने रेलवे में दस करोड़ रुपये के धन के बदले पद कांड में एक आरोपी की जमानत याचिका का आज दिल्ली की एक अदालत में विरोध किया. सीबीआई ने कहा कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है जिनकी पहचान आरोपपत्र दाखिल करने के साथ ही उजागर हो गई है.
मामले में आरोपी अजय गर्ग की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा, ‘‘मामले में हमने आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और इसमें अभियोजन के गवाहों के नामों का जिक्र है. वह (आरोपी) उनकी पहचान जानता है और रिहा होने के बाद उन्हें प्रभावित कर सकता है.’’ वरिष्ठ लोक अभियोजक अक्षय गौतम ने अदालत से कहा कि गर्ग मुख्य षड्यंत्रकारियों में है और पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला को रकम देने के मामले में संलिप्त था.
बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सीबीआई के पास केवल पकड़ी गयी बाचतीत ही साक्ष्य के रुप में है और ऐसा कोई गवाह नहीं है इसलिए गवाहों को प्रभावित करने का सवाल ही नहीं है. गर्ग के वकील ने यह भी तर्क दिया कि सीबीआई का आरोपपत्र यह नहीं दर्शाता कि मामले में कुछ और भी दायर किया जाना है. वकील ने कहा कि जांच खत्म हो गई है और इसलिए उनके मुवक्किल को जमानत दी जा सकती है.
सीबीआई की विशेष न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि आठ जुलाई को फैसला सुनाने से पहले वह टेलीफोन पर पकड़ी गई बातचीत पर गौर करेंगी ताकि गर्ग की भूमिका देखी जा सके. सीबीआई के मुताबिक वह मध्यस्थ है जिसके माध्यम से रिश्वत की रकम तय की गई. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुङो बातचीत पढ़ने दीजिए और फिर मैं आदेश दूंगी. सोमवार (आठ जुलाई) को आदेश के लिए मैं इसे रखूंगी.’’