सांप्रदायिक हिंसा चर्चा पर प्रधानमंत्री के जवाब को लेकर विपक्ष अड़ा, राज्यसभा बाधित

नयी दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष द्वारा सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के जवाब के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में मौजूदगी की मांग पर लेकर आज लगातार तीसरे दिन हंगामा जारी रहा जिसके कारण तीन बार के स्थगन के बाद बैठक दोपहर बारह बजकर 37 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2014 3:51 PM

नयी दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष द्वारा सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के जवाब के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में मौजूदगी की मांग पर लेकर आज लगातार तीसरे दिन हंगामा जारी रहा जिसके कारण तीन बार के स्थगन के बाद बैठक दोपहर बारह बजकर 37 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.

सदन की कार्यवाही आज सुबह शुरु होते ही विपक्ष के नेताओं ने देश में बढती सांप्रदायिक घटनाओं पर कार्यवाही में सूचीबद्ध अल्पकालिक चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री की मौजूदगी को लेकर मांग शुरु कर दी.

बहरहाल, सरकार की ओर से कहा गया कि वह चर्चा के लिए तैयार है तथा उसने विपक्ष पर सदन को बाधित करने का आरोप लगाया. सरकार की ओर से कहा गया कि यह मामला गृह मंत्रालय से जुडा है तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह इसका जवाब देंगे.

विपक्ष के अपनी मांग पर अडे रहने के कारण सदन में हुए हंगामे के चलते शून्यकाल के दौरान कार्यवाही को एक बार जबकि प्रश्नकाल में दो बार स्थगित करने के बाद बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

हंगामे के बीच ही सभापति हामिद अंसारी ने कांग्रेस सदस्य हनुमंत राव का नियम 255 के तहत नाम लिया और उनसे सदन छोडकर जाने के लिए कहा. राव आसन की चेतावनी के बावजूद आसन के समक्ष आकर अन्य विपक्षी सदस्यों के साथ नारेबाजी कर रहे थे.

इससे पहले आज सदन की बैठक शुरु होते ही सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के सवाल पर यह मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री से जवाब की मांग की. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने संसद का सत्र चालू होने के दौरान भाजपा संसदीय दल की बैठक में नीतिगत घोषणा की है. उन्होंने प्रधानमंत्री से जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर जवाब देने को कहा.

इस पर सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने पार्टी की बैठक में कोई नीतिगत निर्णय नहीं किया है. व्यवस्था के सवाल के नाम पर नरेश अग्रवाल हर दिन अव्यवस्था का सवाल उठाते हैं.’’माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि चूंकि विपक्ष के लिए ‘‘अराजकतावादी’’ शब्द का इस्तेमाल किया जा चुका है, वह यह ‘‘अव्यवस्था का सवाल’’ उठाना चाहते हैं कि क्या प्रधानमंत्री सांप्रदायिक हिंसा के विवादास्पद विषय पर चर्चा का जवाब देने के लिए सदन में आयेंगे ताकि गतिरोध समाप्त हो सके.

येचुरी ने कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री आकर हमारी चर्चा सुनेंगे और उसका जवाब देंगे. तब देश को पता चल पायेगा कि अराजकतावादी कौन है.हम या वे.’’ कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री नहीं आये तो सदन में कोई कामकाज नहीं होगा। यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि सदन नहीं चलने दिया जायेगा.’’

संसदीय कार्य राजयमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘‘सरकार चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष केवल अडचन चाहता है.’’

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