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शहरों में कम कार्बन उत्सर्जन वाले तरीके अपनाने की जरूरत : वेंकैया नायडू

नयी दिल्ली : सतत और बेहतर तंत्र से शहरीकरण के प्रारूप में बदलाव लाने पर जोर देते हुए शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कहा कि शहरों में कम कार्बन उत्सर्जन वाला तरीका अपनाने की जरूरत है.उन्होंने सतत शहरीकरण कार्यक्रम में पीपीपी की महत्ता को भी रेखांकित किया. नायडू ने दक्षिण एशिया में सतत […]

नयी दिल्ली : सतत और बेहतर तंत्र से शहरीकरण के प्रारूप में बदलाव लाने पर जोर देते हुए शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कहा कि शहरों में कम कार्बन उत्सर्जन वाला तरीका अपनाने की जरूरत है.उन्होंने सतत शहरीकरण कार्यक्रम में पीपीपी की महत्ता को भी रेखांकित किया.

नायडू ने दक्षिण एशिया में सतत शहरीकरण पर क्षेत्रीय नीति वार्ता का यहां शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि नये शहरों के निर्माण और मौजूदा शहरी आधारभूत संरचना के नवीनीकरण के लिए लोगों की सतत आजीविका पर ध्यान देते हुए ऐसे तरीके अपनाने की जरूरत है जिसमें न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन हो.

संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन के मुताबिक, फिलहाल, दक्षिण एशिया दुनिया में सबसे कम शहरीकृत क्षेत्र है जहां की सिर्फ 31 फीसदी आबादी शहरों में रहती है. इसकी तुलना में पूर्वी एशिया की 56 प्रतिशत, लातिन अमेरिका में करीब 80 प्रतिशत और यूरोप में 73 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है.

उन्होंने कहा कि कि दक्षिण एशियाई देश विकसित दुनिया के साथ विकास के लिए कदमताल कर रहा है इसलिए यहां भी शहरी आबादी तेजी से बढने की उम्मीद है. 2050 तक भारत के ही 40.4 करोड़ लोग शहरों में रह रहे होंगे.

दक्षिण एशिया में सतत शहरीकरण के वास्ते उठने वाली विशाल वित्तीय जरुरतों को देखते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है. प्रस्तावित स्मार्ट सिटी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने जा रही है.

इन शहरों को बडे़ शहरों के उपनगर के तौर पर विकसित किया जाएगा और मौजूदा मध्यम आकार के शहरों की तरह विकसित किया जाएगा.

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