हिंदुत्‍व के मुद्दे पर मोदी-संघ में तकरार, पीएम ने दी पद छोड़ने की धमकी!

नयी दिल्‍ली : भाजपा सांसदों की ओर से लगातार आ रही हिंदुत्‍व और धर्मांतरण के मुद्दे पर गलत बयानी से पीएम नरेंद्र मोदी खासे परेशान दिख रहे हैं. पार्टी के शीर्ष नेताओं और संघ नेताओं से बातचीत में मोदी ने इस बात के संकेत दिये हैं कि उन्‍हें पीएम पद का कोई मोह नहीं है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2014 10:52 AM

नयी दिल्‍ली : भाजपा सांसदों की ओर से लगातार आ रही हिंदुत्‍व और धर्मांतरण के मुद्दे पर गलत बयानी से पीएम नरेंद्र मोदी खासे परेशान दिख रहे हैं. पार्टी के शीर्ष नेताओं और संघ नेताओं से बातचीत में मोदी ने इस बात के संकेत दिये हैं कि उन्‍हें पीएम पद का कोई मोह नहीं है.

पद से मोह नहीं होने की बात कर मोदी ने यह स्‍पष्‍ट कर दिया है कि वे पार्टी की छवि को और अधिक खराब होते देखना नहीं चाहते हैं. मोदी ने कहा कि जनता ने पार्टी को गुड गवर्नेंस के मुद्दे पर स्‍पष्‍ट बहुमत दिया है. जिस प्रकार कुछ सांसदों की ओर हिंदुवादी बयान आ रहे हैं, उससे जनता के सामने पार्टी की छवि खराब हो रही है.

नवभारत टाइम्‍स के वेब पोर्टल पर छपी खबर के अनुसार बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीते दो दिनों से न सिर्फ पार्टी नेताओं और संघ के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई, बल्कि प्रधानमंत्री ने भी संघ के नेताओं को बताया है कि किस तरह से इस तरह के बयानों की वजह से सरकार की छवि खराब हो रही है.

खबर आयी है कि मंगलवार को पार्टी की संसदीय दल की बैठक में भी मोदी ने कड़े शब्दों में इस तरह के बयानों से बचने के लिए कहा था लेकिन उसके फौरन बाद ही आदित्यनाथ ने फिर विवादित बयान दे दिया था. इसके बाद फिर से संघ नेताओं से बातचीत की गयी. इसके बाद से अब बयानबाजी बंद हुई है.

पार्टी नेताओं का कहना है कि संघ को यह बताया गया है कि अगर इसी तरह से विवाद चले तो 2017 का यूपी का मिशन फेल हो सकता है. इससे संघ की योजना को भी धक्का लगेगा. उधर, संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ के सीनियर नेताओं की तरफ से भी उसकी विभिन्न शाखाओं के प्रमुखों को संदेश दिया गया है कि वे जल्दबाजी न करें.

इससे यह संदेश जा रहा है कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही संघ का कब्जा हो रहा है. ऐसे में संघ की छवि भी प्रभावित हो रही है. बीजेपी के एक नेता के मुताबिक उस संदेश के बाद ही घर वापसी जैसे कार्यक्रमों को टाला गया है. गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे तब से उनके उपर लगातार कट्टरवादी होने के कथित आरोप लगते आ रहे हैं.

जबकि अदालत ने मोदी को क्‍लीन चिट दे दिया है. तमाम अटकलों के बीच मोदी ने हमेशा जनता को भरोसा दिलाया है कि वे जात-धर्म के नाम पर नहीं बल्कि विकास के नाम पर जनता का समर्थन चाहते हैं. इस दिशा में मोदी की ओर से कई सराहनीय काम भी किया गया है.

फिर वहीं टकराहट

उल्‍लेखनीय है कि 1998 की लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व में भाजपा की सरकार केंद्र में बनी थी. उस समय भी भाजपा के सरकार में आने के बाद संघ के शीर्ष नेताओं का पार्टी के मामलों में दखल जारी रहा. इसपर भाजपा और संघ में तकरार की स्थिति भी देखी जाती रही है.

भाजपा के सरकार में आने के बाद संघ के शीर्ष नेताओं की ओर से विवादित बयान आने से तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसे छवि पर असर डालने वाला बताया था. आज वही स्थिति फिर से दुहरायी जा रही है. जब से भाजपा ने सत्‍ता संभाला है, मोदी को संघ के नेताओं की ओर से विवादित बयानों का सामना करना पड़ रहा है.

इतना ही नहीं किसी भी सांसद के विवादित बयान के बाद दोनों सदनों में विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने में कोई कसर छोड़ी नहीं जा रही है. विपक्ष हर बयान पर सरकार से जवाब मांगता है और भाजपा को संघ का हिस्‍सा बताता है.

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