नयी दिल्ली : कांग्रेस द्वारा खाद्य सुरक्षा विधेयक को पासा पलटने वाली पहल के रुप में पेश किये जाने के बीच सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की 13 जुलाई को बैठक बुलाई है जिसमें इसे लागू करने के मुद्दे पर विचार विमर्श होगा.
सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को लाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाया है जो इस बात का संकेत है कि पार्टी खाद्य सुरक्षा योजना के प्रचार प्रसार की सारी रकावटों को दूर करने की इच्छुक है. अध्यादेश द्वारा लागू खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 82 करोड़ लोगों को सस्ता खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा. इस वर्ष जनवरी में जयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस नेताओं का यह पहला बड़ा जमघट होगा.
वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)योजना और खाद्य सुरक्षा कानून को कांग्रेस की वैसी ही महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है जैसा कि संप्रग-1 शासन के दौरान किसानों की ऋण माफी योजना और मनरेगा कार्यक्रम थे. ऋण माफी और मनरेगा को वर्ष 2009 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में लगातार दूसरी बार लौटने का प्रमुख कारण माना जाता है.
पार्टी के नेताओं ने लोकसभा के चुनावी संघर्ष के लिए खाद्य सुरक्षा को पासा पलटने वाली पहल के रुप में सराहा है. ऐसी खबर है कि कांग्रेस शासित कर्नाटक, भाजपा नीत छत्तीसगढ़, सपा नीत उत्तर प्रदेश और जद-यू नीत बिहार सहित कई राज्य जल्द ही इस योजना को शुरू कर सकते हैं. यह विधेयक कांग्रेस अध्यक्ष एवं संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी की पसंदीदा परियोजना है.