रथ यात्राआज
एकांत वास से बाहर आये भगवान, नेत्र दान हुआ
रांची:भगवान जगन्नाथ स्वामी, बड़े भ्राता बलराम व भगिनी सुभद्रा पंद्रह दिनों के एकांतवास के बाद मंगलवार को बाहर आये. शाम साढ़े चार बजे पूरे विधि विधान के साथ भगवान का नेत्रदान अनुष्ठान हुआ. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रज भूषण नाथ मिश्र सहित अन्य पुजारियों इसे संपन्न कराया. शाम पांच बजे भगवान का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया. मंगल आरती हुई. जगन्नाथ अष्टकम का स्तुति, गीता के द्वादश अध्याय का पाठ, विष्णु स्तुति के बाद सभी लोगों के कल्याण के लिए भगवान का नमन किया गया.
भगवान का पट खुलते ही मंदिर परिसर भगवान के जयघोष से गूंज उठा. दिन के तीन बजे से ही भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए मुख्य मंदिर में एकत्रित होने लगे थे. पूजा अर्चना में प्रधान पुजारी के अलावा रामेश्वर पाढ़ी, सरयू नाथ मिश्र, ठाकुर राधेश्याम नाथ शाहदेव, ज्ञान प्रकाश बुधिया, ललित कुमार शाह, श्री कांत ठाकुर, प्रवीण नाथ शाहदेव, ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव सहित अन्य शामिल हुए.
रात नौ बजे भगवान की आरती हुई और साढ़े नौ बजे मंदिर का पट बंद कर दिया गया. बुधवार को रथ यात्र है. इसकी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. बुधवार को प्रात: पांच बजे से भगवान सर्वदर्शन के लिए सुलभ हो जायेंगे. शाम 4.31 बजे भगवान का रथ खींचा जायेगा.
सामाजिक महत्व भी है मेले का
10 दिन तक चलने वाले भगवान जगन्नाथ रथ यात्र मेले में इस बार करीब 500 स्टॉल लगे हैं. इन स्टॉलों पर खाने-पीने के समान से लेकर दैनिक उपयोग की वस्तुएं उपलब्ध हैं. मेले में मनोरंजन के भी भरपूर साधन हैं. 20 से अधिक झूले के अलावा विभिन्न प्रकार के नृत्य और अन्य मनोरंजन के मंच सजे हैं. स्टॉल से कोई शुल्क नहीं लिया गया है. मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए स्वेच्छा राशि ली जाती है. दूसरी ओर मेले का सामाजिक महत्व भी है. एचइसी व जगन्नाथपुर क्षेत्र में रहने वाले लोगों के यहां मेले के दौरान मेहमान जरूर आते हैं. ठाकुर राधेश्याम नाथ शाहदेव ने बताया कि भगवान के दर्शन के लिए लोग पहले से ही अपने रिश्तेदारों को आने का न्योता देते हैं.
रथ मेला के कार्यक्रम
* सुबह 5.00 बजे जगन्नाथपुर मुख्य मंदिर में सर्व दर्शन सुलभ.
*दोपहर 2.00 बजे मुख्य मंदिर में दर्शन बंद, इसके बाद नरसिंह भगवान, सुदर्शन चक्र, गरुड़ जी, बलराम, माता सुभद्रा व जगन्नाथ स्वामी का रथों के लिए प्रस्थान.
*दोपहर 2.01 बजे से 2.25 बजे तक विग्रहों को रथारूढ़ कर श्रृंगार किया जायेगा.
* 2.31 बजे से 4.00 बजे तक श्रद्धालु विष्णु लक्षार्चना करेंगे.
* शाम 4.16 बजे से 4.30 बजे तक जगन्नाथ महाप्रभु के रथ का रस्सा बंधन किया जायेगा.
* 4.31 बजे रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान करेगा और 6.00 बजे मौसीबाड़ी पहुंचेगा.
* 7.01 बजे विग्रहों का रथ से क्रमश: मौसीबाड़ी में प्रवेश.
* रात 8.00 बजे रात्रि में विग्रहों की मंगल आरती मौसीबाड़ी में होगी.
* 19 जुलाई को मौसीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटेंगे भगवान जगन्नाथ