धर्मांतरण मुद्दा : मुश्किल में PM, विवादित बयान और ‘घर वापसी’ का सिलसिला जारी
नयी दिल्ली/अलपुझा (केरल) : धर्मांतरण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर राज्यसभा में इसको लेकर गतिरोध जारी है वहीं दूसरी ओर हिंदुत्व और धर्मातरण पर भाजपा, संघ और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के विवादित बयानों का सिलसिला थम नहीं रहा. विपक्ष पीएम के बयान से कम पर मानने […]
नयी दिल्ली/अलपुझा (केरल) : धर्मांतरण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर राज्यसभा में इसको लेकर गतिरोध जारी है वहीं दूसरी ओर हिंदुत्व और धर्मातरण पर भाजपा, संघ और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के विवादित बयानों का सिलसिला थम नहीं रहा. विपक्ष पीएम के बयान से कम पर मानने को राजी नहीं है. सरकार की ओर से कहा गया कि इसपर संबंधित मंत्री जवाब देंगे लेकिन विपक्ष पीएम के बयान पर अड़ा हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम पद छोड़ने की धमकी का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ा. शनिवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाना है. रविवार को विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि मुसलिमों और ईसाइयों के कारण विश्व युद्ध होते हैं. सिंघल और भागवत दोनों ने एक बार फिर कहा कि ‘घर वापसी’ का कार्यक्रम जारी रहेगा.
एक पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में अशोक सिंघल ने कहा, ‘हम ‘इसलामी आतंकवाद’ का खतरा यूरोप में देख रहे हैं. यह युद्ध समाप्त किया जा सकता है, लेकिन विभिन्न शक्तियां जिस तरह से अपना प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ में लगी हैं, इससे लगता है कि विश्व युद्ध सुनिश्चित है.’ कहा कि हिंदू ऐसे किसी युद्ध में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्होंने हमेशा ही प्रेम से विश्व को जीतने का प्रयास किया है. सिंघल ने देश में हिंदू मूल्यों को पुन:स्थापित पर जोर देते हुए कहा कि वह विश्व का धर्मातरण नहीं चाहते. केवल ‘उसका हृदय विजय’ करना चाहते हैं.यह उनके 50 वर्ष के संघर्ष का परिणाम है कि हिंदुओं ने 800 वर्ष से खोया ‘साम्राज्य’ वापस पाया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी संस्कृति और धर्म को कुचला गया और हमें संघर्ष करना पड़ा. 800 वर्ष बाद, अब यह दिन आया कि हम कह सकते हैं कि हमारी एक ऐसी सरकार है, जो हिंदुत्व की रक्षा के प्रति कटिबद्ध है. देश में शनै: शनै: हमारे मूल्य स्थापित होंगे.’
मोदी ने दी थी इस्तीफे की धमकी
विगत दिनों नरेंद्र मोदी ने संघ नेताओं से कहा था कि विवादित बयानों के कारण अगर सरकार की छवि खराब हुई, तो वह पद पर बने नहीं रहेंगे. इस पर संघ ने उन्हें आश्वस्त किया और विवादित बयान देनेवाले नेताओं पर कार्रवाई की हरी झंडी भी दे दी. इसका असर भी हुआ. भाजपा का मानना है कि सुशासन के मुद्दे पर सत्ता में आयी सरकार की छवि कट्टरपंथ की बन रही है.
केरल में 30 ईसाइयों का धर्मातरण
अलापुझा (केरल) : गुजरात के कपराड़ा के अरणाई गांव में शनिवार को 200 ईसाई परिवारों ने कथित ‘घर वापसी’ के बाद रविवार को केरल में 30 ईसाई परिवारों का हिंदू धर्म में पुन: धर्म परिवर्तन कराया गया. विहिप की जिला इकाई द्वारा ‘घर वापसी’ कार्यक्रम का आयोजन कणिचनाल्लोर के एक मंदिर में हुआ. विहिप नेता प्रताप जी पदिक्कल ने कहा कि परिवारों ने ‘हिंदू धर्म में वापस आने की इच्छा जतायी थी’ और विहिप ने ‘वापसी की केवल व्यवस्था की’. कहा कि जिले के करीब 150 परिवारों ने हिंदू धर्म में शामिल होने की इच्छा जतायी है. विहिप उनकी भी ‘घर वापसी’ की व्यवस्था करेगी.
धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को धर्मांतरण विरोधी कानून का समर्थन करना चाहिए : शाह
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि आखिर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां धर्मांतरण विरोधी कानून का समर्थन क्यों नहीं करतीं. चेन्नई में एक प्रेस कान्फ्रेंस में शाह ने कहा कि विपक्षी दल एनडीए सरकार को विकास के एजेंडे की पटरी से नहीं उतार सकते. भाजपा और केंद्र सरकार पहले से ही कह रही है कि वह धर्मांतरण रोकने के लिए कानून लाने को तैयार है लेकिन यह आम सहमति के बिना नहीं हो सकता.
किसने क्या कहा
प्रधानमंत्री को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए, जिससे ईसाई समुदाय खुद को सुरक्षित महसूस कर सके.
सबरीमुत्तू, प्रवक्ता, दिल्ली कैथोलिक चर्च
धर्मातरण के मुद्दे पर भाजपा-संघ दोमुंही बातें करते हैं. अलग धर्मातरण रोधी कानून की जरूरत नहीं है, क्योंकि जबरन धर्मातरण पर रोक लगाने का प्रावधान आइपीसी की धाराओं के तहत पहले से मौजूद है.
सीताराम येचुरी, माकपा नेता
संघ जबरन या लालच देकर होनेवाले धर्मातरण के खिलाफ कानून चाहता है. क्या वह सचमुच ऐसा चाहते हैं? क्या वे घर वापसी को धर्मातरण मानेंगे? दक्षिणपंथी संगठन अपनी भुजाएं मजबूत कर रहे हैं.
दिग्विजय सिंह
भाजपा पहले ही घोषणा कर चुकी है कि धर्मातरण के खिलाफ कानून लाना सही होगा. लेकिन यह तभी संभव होगा, जब देश में आम सहमति बने.
वेंकैया नायडू, संसदीय कार्य मंत्री