खुफियागीरी के इतिहास में चूक के कारण हुए थे मुंबई हमले

न्यूयॉर्क : मुंबई हमले की खुफियागीरी के इतिहास में सबसे गंभीर चूकों में से एक के परिणाम के चलते हुए जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और भारतीय गुप्तचर एजेंसियां भारत की वित्तीय राजधानी पर हमले को टालने के लिए अपने हाईटेक निगरानी तंत्र द्वारा जुटाई गयी जानकारी को एक साथ रखने में नाकाम रहीं. न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रोपब्लिका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2014 3:58 PM

न्यूयॉर्क : मुंबई हमले की खुफियागीरी के इतिहास में सबसे गंभीर चूकों में से एक के परिणाम के चलते हुए जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और भारतीय गुप्तचर एजेंसियां भारत की वित्तीय राजधानी पर हमले को टालने के लिए अपने हाईटेक निगरानी तंत्र द्वारा जुटाई गयी जानकारी को एक साथ रखने में नाकाम रहीं.

न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रोपब्लिका और पीबीएस सीरीज फ्रंटलाइन की इन 2008 मुंबई किलिंग्स, पाइल्स ऑफ स्पाई डाटा, बट एन अनकंप्लीटेड पजल शीर्षक वाली एक विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई हमलों का छिपा इतिहास संवेदनशीलता, कंप्यूटर निगरानी की शक्ति और इंटरसेप्ट्स के आतंकवाद रोधी हथियार के रूप में होने का खुलासा करता है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे जो हुआ, वह खुफियागीरी के इतिहास में सबसे अधिक घातक चूकों में से एक है. तीन देशों की खुफिया एजेंसियां अपने हाईटेक निगरानी और अन्य उपकरणों द्वारा जुटाई गइ सभी जानकारी को एकसाथ रखने में नाकाम रहीं, जिनसे आतंकी हमले को रोका जा सकता था.
नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के पूर्व कांट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक किए गए गोपनीय दस्तावेजों का हवाला देते हुए इसमें कहा गया कि यद्यपि इलेक्ट्रानिक रूप से बातों पर निगरानी रखने से अक्सर मूल्यवान डाटा मिलता है, लेकिन यदि प्रौद्योगिकी पर करीब से नजर न रखी जाए, इससे निकली खुफिया सूचना को अन्य सूचना से न मिलाया जाए, या डिजिटल डाटा के भंडार से निकल रही गतिविधि का सही विश्लेषण न किया जाए तो संकेतों से चूक सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वाधिक खुफिया विफलता के उदाहरणों में से एक में भारतीय और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने 26 / 11 की योजना बनाने वाले और पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह के प्रौद्योगिकी प्रमुख जरार शाह की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखी थी, लेकिन वे हमलों से पहले कड़ियों को नहीं जोड़ पाईं. मुंबई हमलों में छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे.
वर्ष 2008 में शाह भारत के वाणिज्यिक शहर मुंबई पर हमले की योजना बनाते हुए पाकिस्तान के उत्तर में स्थित पर्वतीय क्षेत्र स्थित चौकियों से अरब सागर के नजदीक सुरक्षित घरों तक घूमा . रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि सितंबर तक वह इस बात से अनजान था कि ब्रिटिश एजेंसियां उसकी बहुत सी ऑनलाइन गतिविधियों की जासूसी कर रही हैं और उसके इंटरनेट सर्चेज तथा संदेशों पर नजर रख रही हैं.
इसमें अभियान पर जानकारी देने वाले एक पूर्व अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सिर्फ ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां ही उस पर निगाह नहीं रख रही थीं. शाह पर इसी तरह की नजर एक भारतीय खुफिया एजेंसी भी रख रही थी.

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