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कृषि मशीनीकरण में अन्य देशों से काफी पीछे है भारत

नयी दिल्ली: भारत कृषि कार्यों के मशीनीकरण के मामले में जापान जैसे कई देशों से काफी पीछे है और श्रमिकों की समस्या को हल करने के लिए कृषि औजारों के मशीनीकरण को प्रोत्साहित करने के प्रयास किये जा रहे हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आज यह जानकारी दी. शुगर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन आफ इंडिया (एसटीएआई) […]

नयी दिल्ली: भारत कृषि कार्यों के मशीनीकरण के मामले में जापान जैसे कई देशों से काफी पीछे है और श्रमिकों की समस्या को हल करने के लिए कृषि औजारों के मशीनीकरण को प्रोत्साहित करने के प्रयास किये जा रहे हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आज यह जानकारी दी.

शुगर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन आफ इंडिया (एसटीएआई) द्वारा आयोजित एक समारोह के मौके पर कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त आयुक्त वी एन काली ने कहा, कृषि मशीनीकरण में अभी तक हमने बाकी देशों के मुकाबले कुछ अधिक हासिल नहीं किया है. केवल 10 से 15 प्रतिशत गन्ने की फसल की कटाई मशीनों से होती है. इस क्षेत्र में बड़े हस्तक्षेप की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत में 1,000 हेक्टेयर में 15.16 ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि इतनी ही जमीन पर ब्रिटेन में 88 ट्रैक्टरों और जापान में 461 ट्रैक्टरों का इस्तेमाल होता है. कृषि मशीनीकरण का काम ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु तक सीमित है.

उन्होंने कहा कि कृषि मशीनीकरण को अपनाने की गति छोटे जोत होने के कारण भी धीमी है. इसके अलावा बैंक भी ज्यादा महंगी मशीनों की खरीद करने के लिए कम रिण क्षमता के कारण किसानों को कर्ज देने को इच्छुक नहीं होते. उन्होंने कहा कि लघु और सीमांत किसानों के लिए निजी रुप से कृषि मशीनों का स्वामित्व रखना आर्थिक रुप से लाभप्रद नहीं है. काली ने कहा कि 12वीं योजनावधि के दौरान ऐसे किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण पर ‘सब मिशन’ को जल्द ही शुरु किया जायेगा.

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