धर्मांतरण मुद्दा : भाजपा सख्त, गडकरी के निवास पर बुलाई गई बैठक
नयी दिल्ली/लखनऊ : धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा सख्त रूख अपनाती दिख रही है. मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार सोमवार को भाजपा और आरएसएस के नेताओं के बीच बैठक हुई जिसमें इस मुद्दे को लेकर काफी देर तक चर्चा चली. इस बैठक में विवादास्पद बयान से बचने को लेकर सहमति बनी, जिससे कि आर्थिक […]
नयी दिल्ली/लखनऊ : धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा सख्त रूख अपनाती दिख रही है. मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार सोमवार को भाजपा और आरएसएस के नेताओं के बीच बैठक हुई जिसमें इस मुद्दे को लेकर काफी देर तक चर्चा चली. इस बैठक में विवादास्पद बयान से बचने को लेकर सहमति बनी, जिससे कि आर्थिक सुधार के पीएम मोदी के एजेंडे से ध्यान ना भटकने पाए.
खबरों की माने तो बैठक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के निवास पर बुलाई गई जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संघ के दूसरे बड़े कद्दावर नेता भैय्याजी जोशी के अलावा केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ने शिरकत की.
वहीं दूसरी ओर धर्मांतरण के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों विशेषकर वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव के बयानों को दिखावा करार देते हुए भाजपा ने कहा कि अगर केंद्र के इशारे पर धर्मान्तरण हो रहा है तो राज्य की अखिलेश यादव सरकार उसे रोकती क्यों नहीं है? प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, ‘‘प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि केंद्र के इशारे पर धर्मान्तरण कराया जा रहा है..राज्य में सपा की सरकार है. प्रदेश के पास अपना खुफिया तंत्र है. फिर यदि प्रदेश में केंद्र के इशारे पर धर्मान्तरण हो रहा है तो उसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है?’’
उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोडने में माहिर सपाई अब हर घटना के लिए राजनीतिक रुप से केंद्र पर दोषारोपण करने में जुटे हैं. धर्मान्तरण को लेकर तथ्यहीन आरोप लगाने वाले सपा नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और राज्य में अखिलेश यादव की सरकार है.
पाठक ने कहा कि धर्मांतरण को लेकर हो हल्ला कर रही सपा इस प्रस्ताव को क्यों नहीं स्वीकार करती कि धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त कानून बनना चाहिए_ केंद्र सरकार कह चुकी है कि वह कानून बनाने को तैयार है बशर्ते सभी राजनीतिक दल उसका समर्थन करें. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन धर्मान्तरण को लेकर नासमझी वाले बयान दे रहे सपा नेता इस मुद्दे पर दोमुंहा चरित्र दिखा रहे हैं क्योंकि अपनी वोट बैंक की राजनीति के कारण ये सपाई धर्मान्तरण को लेकर कडा कानून बनाने की सहमति कभी नहीं दे सकते.’’