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नहीं हुआ आधार कार्ड बेकार, सरकार 100 करोड़ का आंकड़ा छूने को तैयार

नयी दिल्ली: देशभर में लोगों को एक अलग पहचान देने के उद्देश्‍य से आधार कार्ड योजना (यूआइडीएआइ) की शुरुआत जोरशोर से हुई थी. लेकिन कुछ ही महीने बाद आलोचकों ने इसकी अंत्येष्टि की भविष्यवाणी करनी शुरु कर दी थी. देश में नयी सरकार के आने के बाद यह कार्ड जनता तक विभिन्न योजनाओं का लाभ […]

नयी दिल्ली: देशभर में लोगों को एक अलग पहचान देने के उद्देश्‍य से आधार कार्ड योजना (यूआइडीएआइ) की शुरुआत जोरशोर से हुई थी. लेकिन कुछ ही महीने बाद आलोचकों ने इसकी अंत्येष्टि की भविष्यवाणी करनी शुरु कर दी थी. देश में नयी सरकार के आने के बाद यह कार्ड जनता तक विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचाने का आधार बनाया गया और अब यह अगले साल नयी उंचाइयां छूने को तैयार दिखाई देता है.
भारतीय विशिष्ट पहचान संख्या प्राधिकरण अब तक 72 करोड़ लोगों को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या वाले कार्ड जारी कर चुका है. अब यह नये साल में इसे 100 करोड़ से उपर पहुंचाने का लक्ष्य ले कर चल रहा है.आधार नंबर को बैंक खातों से जोड़कर सीधे लाभार्थी के खाते में सरकारी सहायता नकद राशि के रुप में पहुंचाई जा रही है. इसके अलावा निजी क्षेत्र की अनेक कंपनियां भी इस संख्या के आधार पर सेवायें दे रही हैं.
शादी-ब्याह से जुड़ी वेबसाइट भी आधार नंबर के इस्तेमाल पर जोर दे रही हैं. ऐसी वेबसाइट वर अथवा वधू ढूंढने वालों से उनका आधार नंबर मांगने पर जोर दे रही हैं ताकि इससे धोखेबाज नकली लोगों के नाम हटाये जा सकें.इस लिहाज से 2014 घटनाओं से भरा रहा जबकि यूआइडीएआइ के संस्थापक प्रमुख नंदन निलेकणि ने चुनावी राजनीति में हिस्सा लेने के लिए पिछली संप्रग सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना छोडी.
निलेकणि चुनाव में नहीं जीत सके लेकिन यूआइडीएआइ में उनके जाने बाद से कोई प्रमुख नहीं है. हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की विशाल कंपनी इन्फोसिस के पूर्व प्रमुख और सह-संस्थापक आधार के फायदे के बारे में राजग सरकार को सजग करने में कामयाब रहे. नतीजतन ऐसी अटकलें निराधार हो गईं कि नई सरकार आते ही यूआइडीएआइ खत्म हो जाएगा.सरकार ने सब्सिडी और अन्य फायदे प्राप्त करने वाले आधार के फर्जी लाभार्थियों को खत्म करने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए और आतंकवाद तथा अन्य अपराध पर नियंत्रण के लिए आधार का उपयोग शुरु किया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले आम बजट में यूआइडीएआइ परियोजना के लिए आवंटन बढ़ाकर 2,039 करोड़ रुपए कर दिया जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 1,550 करोड़ रुपए थी. नई सरकार आधार मंच का उपयोग नागरिकों को विभिन्न किस्म की सेवाएं और लाभ प्रदान करने के संबंध में ‘कहीं भी कभी भी प्रमाणीकरण’ के लिए करना चाहती है.
हालांकि अभी भी इस बारे में अनिश्चितता है कि 2009 में गठित यूआइडीएआइ जिसे योजना आयेाग के तहत रखा गया था उसे अब इसकी जगह पर बन रही नयी संस्था के दायरे में रखा जाएगा या नहीं. नई सरकार ने साफ किया है कि वह 2015 तक 100 करोड़ आधार संख्या तैयार करना चाहती हैं. जब परियोजना शुरु हुई थी यूआइडीएआइ को देश के 60 करोड़ नागरिकों की बायोमेट्रिक पहचान इकट्ठा करने का जिम्मा दिया गया था.
शेष आबादी को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) परियोजना के दायरे में लाया जाना था. हालांकि इसने 72 करोड़ का आंकडा पार कर लिया जबकि 2014 के दौरान ही करीब 18 करोड़ लोगों का पंजीकरण हुआ. नयी सरकार ने यूआइडीएआइ पर नए सिरे से ध्यान दिया है और आधार को विभिनन योजनाओं तथा पहलों से जोड़ा है जिनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना, मनरेगा, पेंशन, छात्रवृत्ति, एलपीजी सब्सिडी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की एकीकृत खाता संख्या, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति प्रणाली आदि शामिल है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह भी निर्देश दिया है कि देश भर में सभी कैदियों को आधार के तहत पंजीकृत की जा सके. हालांकि 2013 में पेश राष्ट्रीय पहचान प्राधिकार विधेयक अभी अधर में लटका है.

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