सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला,नहीं लड़ सकते जेल से चुनाव

नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजनीति में अपराधीकरण रोकने की दिशा में एक और अहम फैसला दिया. शीर्ष कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यदि कोई व्यक्ति जो जेल या पुलिस हिरासत में है, वह विधायी निकायों के लिए चुनाव लड़ने का हकदार नहीं है. इस फैसले से उन राजनीतिज्ञों को झटका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2013 7:26 AM

नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजनीति में अपराधीकरण रोकने की दिशा में एक और अहम फैसला दिया. शीर्ष कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यदि कोई व्यक्ति जो जेल या पुलिस हिरासत में है, वह विधायी निकायों के लिए चुनाव लड़ने का हकदार नहीं है. इस फैसले से उन राजनीतिज्ञों को झटका लगेगा, जो किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिये गये हैं.

आपराधिक तत्वों को संसद या विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकनेवाले एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ ‘निर्वाचक’ ही चुनाव लड़ सकता है और जेल में होने या पुलिस हिरासत में होने के आधार पर उसका मत देने का अधिकार समाप्त हो जाता है.

-एहतियातन हिरासत में रहनेवाले पर लागू नहीं-

न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि अयोग्य ठहराये जाने की बात उन लोगों पर लागू नहीं होगी जो किसी कानून के तहत एहतियातन हिरासत में लिये गये हों. न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय ने कहा कि कानून की धारा 4 व 5 में संसद व विधानसभाओं की सदस्यता के लिए योग्यताओं का वर्णन किया गया है. इसमें एक योग्यता यह भी बतायी गयी है कि सदस्य को अनिवार्य रूप से निर्वाचक होना चाहिए.

संसद और विधान सभाओं को अपराधियों से मुक्त कराने में मददगार होने वाले ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया था, जो दोषी ठहराये गये कानून निर्माताओं को उच्च न्यायालय में याचिका लंबित होने के आधार पर अयोग्यता से संरक्षण प्रदान करता था.

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