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चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआइ को उदार बनाने की कैबिनेट ने दी मंजूरी

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नीति को उदार बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि नीति को नकदी संकट से जूझ रहे चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआइ को उदार […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नीति को उदार बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि नीति को नकदी संकट से जूझ रहे चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआइ को उदार बनाने के प्रस्ताव पर विचार किया गया और इसे मंजूरी दे दी गई.
इससे चिकित्सा औजार एवं उपकरणों के क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने तथा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद मिलने की उम्मीद है. फिलहाल चिकित्सा उपकरण क्षेत्र फार्मा श्रेणी में आता है और इस पर एफडीआइ सीमा तथा अनिवार्य रुप से सरकारी स्वीकृति जैसी अन्य शर्तें लागू होती हैं.
फार्मा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआइ की मंजूरी है. नयी परियोजनाओं और नये उद्यम के मामले में एफडीआइ की स्वत: मंजूरी का प्रावधान है. लेकिन मौजूदा कंपनियों में निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी लेनी होती है.
मौजूदा प्रक्रिया में कई अन्य शर्तें भी शामिल हैं. इसके तहत चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में सरकारी मंजूरी के जरिए एफडीआइ की अनुमति दी जाती है जबकि उद्योग जगत इस क्षेत्र में एफडीआइ अनुमति को स्वत: मंजूरी के जरिये करने की मांग करता रहा है. उद्योग जगत ने चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में अधिक एफडीआइ की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि ऐसा होने पर बहु-राष्ट्रीय कंपनियों की ओर से विलय एवं अधिग्रहण का कोई खतरा नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में दवा कंपनियों की तरह बड़ी कंपनियां मौजूद नहीं हैं.
अनुमान के मुताबिक देश में चिकित्सा उपकरणों का करीब 70 प्रतिशत आयात किया जाता है. चिकित्सा उपकरण का देश में इस समय करीब सात अरब डॉलर का उद्योग है. चिकित्सा उपकरणों में स्यूचर (टांकों में काम आने वाला धागा), प्रतिरोपण एवं शल्य चिकित्सा से जुड़े उपकरण शामिल हैं.

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