एसिड हमले को जघन्य अपराध की श्रेणी में लाएगी सरकार
नयी दिल्ली: सरकार ने महिलाओं के खिलाफ एसिड हमलों के मामलों की बढती संख्या के मद्देनजर ऐसे अपराधों को जघन्य अपराधों की श्रेणी में रखने और ऐसे मामलों की जांच और सुनवाई समयबद्ध तरीके से कराने का निर्णय किया है ताकि पीडितों को शीघ्र न्याय मिल सके. गृह मंत्रालय ने आज अपने बयान में कहा […]
नयी दिल्ली: सरकार ने महिलाओं के खिलाफ एसिड हमलों के मामलों की बढती संख्या के मद्देनजर ऐसे अपराधों को जघन्य अपराधों की श्रेणी में रखने और ऐसे मामलों की जांच और सुनवाई समयबद्ध तरीके से कराने का निर्णय किया है ताकि पीडितों को शीघ्र न्याय मिल सके.
गृह मंत्रालय ने आज अपने बयान में कहा कि ऐसे सभी मामलों में जघन्य अपराघ होने के कारण अधिकतम आजीवन कारावास या मृत्युदंड संभव है.फौजदारी कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत एसिड हमले के मामले में दोषी करार दिया गए व्यक्ति को 10 साल या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.
ऐसे अपराधों की सुनवाई (आईपीसी की धारा 376ए के तहत) 60 दिनों में पूरी होने की बात कही गई है. गृह मंत्रालय अब अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में उपयुक्त संशोधन करते हुए ऐसे जघन्य मामलों की समयबद्ध तरीके से जांच और सुनवाई पूरी करने का प्रावधान करने की योजना बना रहा है.
सरकार कानून में ऐसे उपयुक्त बदलाव करने का भी प्रस्ताव कर रही है ताकि एसिड हमलों समेत जघन्य अपराध से जुडे मामलों की अपील का अदालतों में समयबद्ध तरीके से निपटारा किया जा सके ताकि तेजी से न्याय सुनिश्चित किया जा सके.
गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, एसिड हमलों पर लगाम लगाने के लिए कानूनी एवं प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने का निर्णय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लिया जो एसिड हमलों के पीडितों के प्रति गंभीर चिंता को प्रदर्शित करता है.
सरकार ने एसिड की बिक्री के नियमन की दिशा में कई पहल की हैं, साथ ही एसिड हमलों के दोषियों का दंड तथा पीडितों का मुआवजा बढाने की भी पहल की गई है.
एसिड की बिक्री के नियमन के लिए एक वेब एप्लीकेशन को सक्रिय किया गया है जहां स्टाकिस्ट एवं खुदरा बिक्रेताओं के पंजीकरण, जिला प्रशासन द्वारा लाइसेंस जारी करने, पहचान पत्र या पते का साक्ष्य देने के बाद ही किसी व्यक्ति को एसिड की बिक्री करने देने जैसी व्यवस्था है.
बयान के अनुसार, ऐसी पहल से देश में अनधिकृत रुप से एसिड की बिक्री को काफी कम किया जा सकेगा.