‘पेड न्यूज’ की बढ़ती समस्या से चिन्तितः काटजू

जयपुर: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने मीडिया में बढ़ती ‘पेड न्यूज’ की समस्या पर चिन्ता जताते हुए कहा है कि पेड न्यूज बड़ा व्यापक हो गया है समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर किस तरह से अंकुश लगाया जाये.काटजू आज यहां आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2013 7:49 PM

जयपुर: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने मीडिया में बढ़ती ‘पेड न्यूज’ की समस्या पर चिन्ता जताते हुए कहा है कि पेड न्यूज बड़ा व्यापक हो गया है समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर किस तरह से अंकुश लगाया जाये.काटजू आज यहां आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन की नेशनल काउंसिल के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि पेड न्यूज की बहुत बड़ी समस्या हो गई है. कई दिक्कतें आ रही है, पेड न्यूज व्यापक होती जा रही है. समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर अंकुश कैसे लगाया जाए. वर्तमान समय बहुत अधिक व्यावसायिक हो गया है. ऐसे में समाचार पत्रों का जनता का मार्गदर्शन करने का काम खत्म हो गया है. यह संक्रमण काल है जो कि पंद्रह.बीस साल और चलेगा. उन्होंने कहा कि पुराने समाज के स्थान पर नया समाज खड़ा हो रहा है. पहले विवाह बिना लड़की देखे परिजन तय करते थे लेकिन अब वह दौर बदल गया है. ऐसे दौर में समाचार पत्रों की भूमिका बड़ी हो जाती है, उन्हें अपना कर्तव्य निभाना होगा. जातिवाद, सम्प्रदायवाद पर प्रहार करना समाचार पत्रों का काम है. वे आत्मविश्लेषण करें की वे अपना सामाजिक दायित्व कैसे निभाएंगं.

काटजू ने बढ़ती मंहगाई की चर्चा करते हुए कहा कि पहले सामन्ती समाज होता था. उस दौर में कम जगह होने के कारण कम पैदावार होती थी लेकिन अब औद्योगिक विकास ने सब कुछ बदल दिया है. पहले काम करने के साधन काफी कम थे लेकिन अब बढ़ गये है, ऐसे में गरीबी की समस्या का निवारण करना आसान है. उन्होंने कहा कि संक्रमण काल में जनता की समस्याएं बहुत हैं. अब समय आ गया है कि सभी को अच्छा जीवन मिले इसमें पत्रकार अहम भूमिका निभा सकते हैं.

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष काटजू ने कहा कि छोटे और मझौले समाचार पत्रों की आर्थिक समस्या के समाधान के लिए कल दो समितियां गठित की हुई हैं. इनकी रिपोर्ट मिलने पर सरकार से बातचीत करके छोटे ओर मझौले समाचार पत्र मालिकों को आर्थिक मदद कैसे दी जा सकती है विचार करेंगे.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री बृज किशोर शर्मा ने छोटे और मझौले समाचार पत्रों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बडे समाचार पत्रों के जिला स्तर पर प्रकाशित हो रहे अंकों से जनता के समक्ष असमंजसता के स्थिति पैदा हो गई है. एक स्थान पर समाचार पत्र में समाचार है लेकिन उसी समाचार पत्र के दूसरे संस्करण में वह समाचार नहीं है. पत्रकारों और समाचार पत्रों को इस समस्या का समाधान करने पर विचार करना चाहिए.

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