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देश के सर्वश्रेठ वक्ता और शब्दों के रचनाकार थे अटल बिहारी वाजपेयी : जेटली

नयी दिल्ली : देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की आधारशिला माने जानेवाले पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत-रत्न’ देकर सम्मानित किये जाने की घोषणा की है. कल यानि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी […]

नयी दिल्ली : देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की आधारशिला माने जानेवाले पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत-रत्न’ देकर सम्मानित किये जाने की घोषणा की है. कल यानि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का 90वां जन्मदिन है. अटल जी के अलावा देश के प्रमुख स्वतंत्रता-सेनानी और शिक्षाविद महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को भी भारत-रत्न सम्मान (मरणोपरांत) दिया जाएगा. मालवीय जी ने ही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की स्थापना की थी. देश के लिए यह सुखद संयोग की बात है कि कल ही अटल जी के साथ-साथ मालवीय जी की भी जयंती है.
अटल जी के सान्निध्य में बरसों रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक लेख लिखकर अटल जी से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया है. जेटली ने अपने संस्मरण में अटल को ‘जेंटल जाइंट‘ कहा है.
जेटली लिखते हैं कि – कल श्री अटल बिहारी वाजपेयी 90 साल के हो जायेंगे. देश ने पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ अटल जी को भी भारत-रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है.
जेटली ने बताया कि अटल जी का पहला भाषण उन्होंने साल 1967 में सुना था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे. जेटली के मुताबिक उनके दिल्ली स्थित घर के पास ही आम चुनाव को लेकर रैली का आयोजन था. उसी रैली में भाषण देने के लिए अटल जी भी आये हुए थे. उस समय तक अटल जी कि ख्याति चारों तरफ एक बेहतरीन वक्ता के रूप में फैल चुकी थी. बहुत से युवा अटल जी के अंदाज में उनके भाषण के अंशों की नकल किया करते थे.
जेटली कहते हैं कि साल 1970 में वे ABVP के छात्र कार्यकर्ता बने. उस समय अटल जी का चेहरा संसद और राजनीति में एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था. जेटली और उनके छात्र साथियों ने कई दफा अटल जी को भाषण के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया था. जेटली कहते हैं कि जब कभी भी हम संसद में किसी विषय को उठाना चाहते थे, हम भागकर अटल जी के पास जाते थे और उन्हें इस बारे में बताते थे. जेटली कहते हैं कि अटल जी के साथ मेरा सान्निध्य 1973 में शुरू हुआ, तब मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र नेता हुआ करता था. जेटली उसके बाद अटल जी से अक्सर मिलने लगे. जेटली के मुताबिक एक उत्कृष्ट वक्ता होते हुए भी अटल जी बहुत धैर्य के साथ सबकी बातों को सुनते भी थे.
अटल जी कई गंभीर और विचारोत्तेजक विषयों पर भी बड़ी सरलता और मजाकिया लहजे में अपनी प्रतिक्रिया देते थे. जे.पी. के आन्दोलन के दौरान 1974 में अटल जी पूरे देश में सभाओं को संबोधित करने में सक्रिय थे. देश में आपातकाल के दौरान 1975 में अटल जी और आडवाणी जी को कई अन्य राजनेताओं के साथ बंगलोर में गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान अरुण जेटली को भी अंबाला से गिरफ्तार करके दिल्ली की तिहाड़ जेल में लाकर बंद किया गया था. जेटली बताते हैं कि जेल में रहने के दौरान ही अटल जी की पीठ में गंभीर समस्या पैदा हुई थी, जिसके बाद उन्हें उनके दिल्ली स्थित आवास में नजरबन्द करके रखा गया. इसके बावजूद उनकी पीठ की परेशानी और गंभीर होती चली गयी, जिसकी वजह से उन्हें आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी का महत्वपूर्ण हिस्सा एम्स में गुजारना पड़ा. एम्स में ही उनकी पीठ का ऑपरेशन भी किया गया. इस अस्पताल के बिस्तर पर ही उन दिनों अटल जी ने अपनी एक नई कविता की रचना की, जो जेटली और अन्य लोगों को भी मिली.
उस कविता का आशय बतलाते हुए जेटली लिखते हैं कि – एम्स के डॉक्टर ने अटल जी की पीठ में दर्द बढ़ने पर उनसे कारण बताते हुए कहा कि ‘अटल जी आप ज्यादा झुक गए होंगे‘. इस पर वाक्पटु अटल जी ने उस डॉक्टर को जवाब दिया था कि ‘डॉक्टर साहब, हम झुक तो सकते नहीं, यूं कहिये, मुड़ गए होंगे.
अपनी इसी बात पर आशुकवि अटल जी ने एक कविता की रचना कर डाली थी, जो 1977 के आम चुनावों के दौरान देश भर में अक्सर सुनी जाती थी. उस कविता के शुरूआती शब्द थे – ‘टूट सकते हैं मगर, हम झुक नहीं सकते.
जेटली कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने और देश भर ने 1977 की जनता पार्टी सरकार में अटल जी को देश के विदेश मंत्री के तौर पर देखा. उसके बाद अटल जी विपक्ष के सांसद और लोकसभा में विपक्षी दल के नेता के तौर पर अपना तेज बिखेरते रहे. जेटली कहते हैं कि समय के साथ अटल जी की उम्र भले ही बढती गयी लेकिन जेटली के लिए 1990 के दशक के शुरुआती समय के अटल बिहारी वाजपेयी की छवि, उनके लिए ‘सर्वोत्तम छवि’ है. जेटली के मुताबिक, ये वो समय था जब ऐसा माना जाने लगा था कि अटल जी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भले ही कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बने लेकिन इतिहास ने उन्हें सही साबित करके अपने पन्नों में स्थापित किया है.
मगर इतिहास के इस मुकाम पर ही अटल जी नहीं रुके बल्कि उनका पथ आगे और ज्यादा अग्रसर होता गया और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब देश को अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में एक उत्कृष्ट प्रधानमंत्री मिला.
जेटली लिखते हैं कि अटल जी इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था की उत्पत्ति थे और संसदीय परंपरा में अच्छी तरह शिक्षित राजनेता थे. वे सर्व-सहमति और सामंजस्य के महत्त्व को समझते थे. कैबिनेट की सभा के समय भी उनका आचरण कभी तनावपूर्ण नहीं रहता था. जेटली के मुताबिक जब कभी मंत्रिमंडल की बैठकों में हम लोग किसी मुद्दे को उठाते थे या किसी मुद्दे पर लेकर हमारे बीच कोई विरोधाभास होता था, तब भी अटल जी कभी हमें रोकते नहीं थे बल्कि वे हमेशा हमें परिचर्चा के लिए उत्साहित करते थे. हालांकि, इन सबके बाद उनके मुंह से निकला शब्द ही अंतिम निर्णय होता था. वाजपेयी जी आर्थिक विषयों को लेकर उदारवादी थे. वे मूलभूत संरचना के विकास का महत्त्व समझते थे. देश का राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यक्रम और ऊर्जा क्षेत्र का सुधार अटल जी की ही देन थे.
भारत के पड़ोसी देशों के साथ भी संबंधों को सामान्य रखने के लिए वे हमेशा प्रतिबद्ध रहते थे. जेटली बताते हैं कि पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध मधुर बनाने के लिए अटल जी की तरफ से की गई बस यात्रा भी राजनीतिक रूप से बहुत जोखिमभरी थी. इसके लिए उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को आश्वस्त करना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण विषय था. साल 2003 में उन्होंने चीन के साथ भी देश के सम्बन्ध सामान्य करने की कोशिश की थी और चीन के साथ सीमा को लेकर विवाद को समाप्त करने के लिए कई समझौते किये थे. भारत-चीन के संबंधों में अटल जी के शासन के दौरान ही एक नया अध्याय लिखा गया था.
जेटली के मुताबिक देश की स्वतंत्रता के बाद अटल बिहारी वाजपेयी निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ वक्ता रहे हैं, जिन्हें पूरा देश सुनना चाहता था. वे शब्दों के साथ मनचाहे तरीके से खेल सकने की क्षमता रखते थे और उनके कहे हर शब्द का मूल्य आंका जाता था. अटल जी शब्दों के रचनाकार थे. वे कभी सस्ती लोकप्रियता के लालच में नहीं आये. उन्होंने हमेशा सामाजिक सौहार्द को महत्त्व दिया. देश-हित के कारणों के लिए पार्टी से ऊपर उठकर समर्थन देना उनके व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण योग्यता थी.
अंत में जेटली ने लिखा है कि अटल जी के 90वें जन्मदिवस को सरकार देश भर में सुशासन दिवस के रूप में मना रही है. हम इसके साथ ही इस सरल और विराट महानायक के स्वास्थ्य लाभ और दीर्घायु की कामना करते हैं.

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