जनप्रतिनिधत्व कानून पर पुर्नविचार होः काटजू

जयपुर: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने उच्चतम न्यायालय द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को निरस्त करने के मुददे पर कहा है कि इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिये क्योंकि न्यायपालिका का काम कानून का अमल सुनिश्चित करवाना है न कि कानून बनाना.काटजू आज यहां आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2013 9:11 PM

जयपुर: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने उच्चतम न्यायालय द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को निरस्त करने के मुददे पर कहा है कि इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिये क्योंकि न्यायपालिका का काम कानून का अमल सुनिश्चित करवाना है न कि कानून बनाना.काटजू आज यहां आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय परिषद के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होने कहा कि न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती, कानून बनाना और कानून में संशोधन करने का काम विधायिका का है, न्यायपालिका का काम कानून का पालन सुनिश्चित करवाना है.

उन्होने कहा कि संविधान में कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका तीनों अलग अलग अंग हैं, तीनों के अधिकार अलग अलग हैं और किसी को भी एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को रदद कर दिया है ,जो सांसदों और विधायकों को उनके मामले लम्बित होने के बावजूद अपने पद पर बने रहने की छूट देती थी. इस निर्णय से जेल में बंद या पुलिस हिरासत में रहते हुए कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड सकेगा.

काटजू ने इससे पहले आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय परिषद के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि पेड न्यूज की समस्या बहुत बडी हो गई है, समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर किस तरह से अंकुश लगाया जाये. उन्होने कहा कि ऐसे दौर में समाचार पत्रों का जनता का मार्गदर्शन करने का काम खत्म हो गया है, यह संक्रमण काल है, यह जबरदस्त संक्रमण काल पंद्रह बीस साल और चलेगा.

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