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वक्त आ गया है, हमें तैयार होना होगा : मोदी

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अंतर-विश्वविद्यालयीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला रखी. इस विश्वविद्यालय को स्व. मदन मोहन मालवीय ने अपने अथक प्रयासों से स्थापित किया था. स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रमुख शिक्षाविद रहे मालवीय जी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत-रत्न’ देने की घोषणा भी कल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2014 3:19 PM

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अंतर-विश्वविद्यालयीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला रखी. इस विश्वविद्यालय को स्व. मदन मोहन मालवीय ने अपने अथक प्रयासों से स्थापित किया था. स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रमुख शिक्षाविद रहे मालवीय जी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत-रत्न’ देने की घोषणा भी कल ही सरकार ने की थी. संयोग से आज क्रिसमस के साथ-साथ पंडित मालवीय का जन्मदिन भी है.

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने भाषण की शुरुआत करते हुए लोगों को इन दोनों अवसरों की बधाई भी दी. मोदी ने आज बीएचयू में आयोजित इस कार्यक्रम के संबोधन में कहा कि बीएचयू में उद्घाटन का मौका मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. देश के लोगों को अब पुरानी बातों को भूलकर नयी शुरुआत करने की जरुरत है. मोदी ने इस अवसर पर अपने राजनीतिक प्रेरणास्रोत के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया. कल ही मालवीय जी के अलावा अटल जी को भी ‘भारत-रत्न’ देकर सम्मानित करने की घोषणा की गयी थी और संयोग से आज ही मालवीय जी के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी का भी जन्मदिन है. मोदी ने कहा कि मैंने अटल जी की उंगली पकड़कर ही राजनीति में चलना सीखा है. आज उनके जन्मदिवस पर मैं उनको नमन करता हूं.
मोदी ने कहा कि आज देश और समूचे विश्व को एक परिपूर्ण मानव की जरुरत है. इसके लिए अच्छे शिक्षकों का होना जरूरी है. अच्छे शिक्षकों के बिना अच्छी शिक्षा नहीं दी जा सकती. अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो, इसपर हम सबको सोचना होगा. किसी भी महापुरुष के जीवन में दो लोगों का अहम योजदान होता है और वो दो लोग होते हैं मां और शिक्षक. इस समय देश में सबसे ज्यादा युवा-शक्ति है, ऐसे में हम विश्व को उत्तम शिक्षक दे सकते हैं. मोदी ने कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे संस्कारों की भी जरुरत होती है. शिक्षकों को देश की परंपरा जाननी चाहिए. हमारी संस्कृति बहुत संमृद्ध है, अच्छे संस्कारों की शिक्षा के बाद शिक्षक छात्रों को और अधिक उत्तम बना सकते हैं.
उन्होंने इस शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला के पीछे के कारणों के बारे में बताया कि हम 10वीं और 12वीं की पढाई के बाद ही देश में शिक्षकों के निर्माण की तैयारी कर सकते हैं. हमारी संस्कृति और शिक्षा इतनी संमृद्ध है कि हम विश्व को लाखों योग्य शिक्षक दे सकते हैं. शिक्षण के महत्त्व को समझकर ही मालवीय जी ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. सरकार भी इसी सोच को आगे बढाने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत कर रही है. मोदी ने कहा कि एक व्यापारी जब देश के बाहर व्यापार करने जाता है तो लौटकर डॉलर और पाउंड लाता है लेकिन एक शिक्षक जब कहीं शिक्षा देने जाता है तो बदले में एक पूरी पीढ़ी लेकर आता है. इसलिए, देश में अच्छे शिक्षक बनाने होंगे और इसके लिए उन्हें अच्छी ट्रेनिंग देने की जरुरत है.
बनारस में पर्यटन और इसके विकास के मुद्दे पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि बनारस में देश-विदेश से साल भर लाखों पर्यटक आते हैं. अगर बनारस की संस्कृति और इसकी विरासत का सही तरीके से प्रसार और विकास किया जाए तो इससे यहां के नौजवानों को रोजगार और फायदा मिलेगा. मोदी ने कहा कि इसके लिए बनारस के स्कूलों और कॉलेजों को काशी की संस्कृति और जीवन पर अपनी विशेषज्ञता विकसित करनी चाहिए. कबीर, तुलसी, गंगा, योग और संगीत जैसी बनारस की विरासत पर स्कूलों में रोज कार्यक्रम किये जाने चाहिए. ऐसा होने पर लोग बनारस की संस्कृति और इतिहास को सही तरीके से जान पायेंगे. विदेशों से आने वाले सैलानी भी जब इसे देखने के लिए यहां रुकने लगेंगे तो यहां के लोगों को उनके रुकने से आर्थिक लाभ मिलने लगेंगे.
मोदी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के लिए सरकार ने अपनी तरफ से शुरुआत की है और इसके लिए देश के सभी बड़े साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और अन्य तमाम लोगों को वे आमंत्रित करते हैं ताकि देश की संस्कृति, विरासत, स्वच्छता, कन्या हत्या जैसे विषयों पर वे अपनी रचनात्मकता के द्वारा जन जागरूकता का काम करें.
सफाई को लेकर मोदी ने कहा कि सफाई की कमी के कारण देश को बहुत नुकसान होता है. गन्दगी होने की वजह से देश में एक गरीब आदमी को अपने इलाज पर 7000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. देश की आर्थिक संमृद्धि के लिए भी गन्दगी को दूर करना जरूरी है.
योग के विषय पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि सितंबर में अपनी संयुक्त राष्ट्र की यात्रा के दौरान उन्होंने यह अपील की थी कि हर साल, दुनिया भर में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए. योग व्यक्ति को संतुलित रखता है और योग दुनियाभर को भारत की तरफ से एक अमूल्य भेंट हैं. मोदी ने कहा कि जिस संयुक्त राष्ट्र में अमूमन एक प्रस्ताव को पारित होने में डेढ़ से ढाई साल का समय लगता है, वहां योग को लेकर भारत के प्रस्ताव को उसने महज 100 दिनों में पारित कर दिया. यह एक विश्व रिकॉर्ड है. मोदी ने कहा कि योग दिवस के मुद्दे पर दुनियाभर के 177 देशों ने अपना समर्थन दिया. यह भी संयुक्त राष्ट्र के किसी प्रस्ताव को मिले समर्थन का विश्व रिकॉर्ड है.
अंत में पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की तरफ बहुत आशा से देख रही है, बस हम तैयार नहीं हैं. अब समय आ गया है कि दुनिया की आशा को पूरा करने के लिए हमें खुद को तैयार करना होगा.

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