मुझे सत्ता में नहीं, लोगों को सशक्त करने में रुचि : मोदी

पुणे : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पुणे के फग्यूर्सन कॉलेज में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरे लोग जहां सत्ता में रुचि रखते हैं, वहीं वे भारतीयों को सशक्त करने में रुचि लेते हैं. चुनाव 2014 को ध्यान में रखते हुए इन दिनों मोदी युवाओं को रिझाने में जुटे हैं.मोदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2013 10:49 AM

पुणे : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पुणे के फग्यूर्सन कॉलेज में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरे लोग जहां सत्ता में रुचि रखते हैं, वहीं वे भारतीयों को सशक्त करने में रुचि लेते हैं.

चुनाव 2014 को ध्यान में रखते हुए इन दिनों मोदी युवाओं को रिझाने में जुटे हैं.मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश इस समय निराशा के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में सकारात्मक विचार की जरूरत है.

मोदी ने युवाओं को बताया कि पुणे के संबोधन के लिए उन्हें सोशल मीडिया के जरिये युवाओं से सलाह मांगी थी और उसी सलाह के आधार पर वे अपने विचार उनके समक्ष रख रहे हैं.

मोदी ने कहा कि शिक्षा एक राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा, यदि हम एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था चाहते हैं तो हमें अच्छे शिक्षक बनाने होंगे जो कि अभी तक प्राथमिकता नहीं रही है. मोदी ने कहा, अन्य और हमारे में बड़ा अंतर है. उन्होंने कहा, अन्य लोगों की रचि सत्ता में होती है. हम सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हैं. वे सत्ता चाहते हैं, हम चाहते हैं कि इस देश का प्रत्येक नागरिक सशक्त बने.

उन्होंने कहा, मैं यहां पर कोई राजनीतिक बयान नहीं देना चाहता, लेकिन क्या व्यवस्था से उम्मीदे पूरी हुई हैं? उन्होंने कहा, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यदि हमने आधुनिक शिक्षा अपनायी होती तो इन 60 वर्षों में हम बहुत कुछ कर पाये होते.

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में निराशा का वातावरण है (लेकिन) मैं इस विचार का समर्थन नहीं करता. उन्होंने जोर देकर कहा, यह आवश्यक है कि हम इस विचार से बाहर निकलें. मोदी ने कहा, हमारी 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है.

युवाओं की इतनी बड़ी संख्या का अच्छा इस्तेमाल हो सकता है यदि कोई यह कार्य करने वाला हो. उन्होंने भारतीय और अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था की तुलना करते हुए कहा कि अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में व्यक्ति की रचनात्मकता विकसित करने के तरीके खोजे जाते हैं.

मोदी ने भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था के साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया कि कैसे पूरे विश्व के लोग भारत के नालंदा जैसे शिक्षा केंद्र में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे.उन्होंने कहा, पहले शिक्षा व्यक्ति निर्माण मिशन था. अब यह पैसा बनाने का मिशन बन गया है. क्या यही हमारी परंपरा है? उन्होंने कहा, यहां तक कि हमारा देश जब गुलाम था, हमारे महान नेताओं ने इस शिक्षा व्यवस्था के बारे में सोचा.

क्या हम स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ भी नहीं कर सकते थे? उन्होंने कहा, हम आधुनिकीकरण चाहते हैं पाश्चात्यीकरण नहीं. उन्होंने दक्षिण कोरिया का उदाहरण दिया और उस देश द्वारा की गयी प्रगति की प्रशंसा की.

उन्होंने कहा, दक्षिण कोरिया ने भी उसी समय स्वतंत्रता प्राप्त की. यह देश गुजरात के बराबर है. इस छोटे से समय में उसने विकसित देशों में स्थान बना लिया है. ऐसा छोटा सा देश ओलंपिक खेलों की मेजबानी करता है.

खेलों के जरिये उसने विश्व में एक स्थान बना लिया है. मोदी ने पूछा, लेकिन 120 करोड़ लोगों वाले इस देश में हमने राष्ट्रमंडल खेलों में देश को नीलाम कर दिया. राष्ट्रमंडल खेल घोटाले ने देश की छवि पर दाग लगा दिया. क्या यह वही दिशा है जिस तरफ हम देश को ले जाना चाहते हैं? उन्होंने कहा, जब सरकार देश की प्रतिष्ठा गिराती है तो यह चिंता का विषय बन जाता है. उन्होंने कहा, ओलंपिक खेलों के दौरान लोग अक्सर कहते हैं कि इतना बड़ा देश होने के बावजूद हमे पदक नहीं मिलते. क्या हमने खेलों को अपनी शिक्षा व्यवस्था से जोड़ा है. मोदी ने कहा, यदि नये भर्ती हुए जवानों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए तो मुझे इस बात का पक्का विश्वास है वे पांच से 10 पदक जरुर लायेंगे.

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