भारत पाक से दोस्ताना रिश्ते चाहता हैः राघवन
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में नियुक्त भारत के नये उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने आज कहा कि आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.वाघा सीमा होकर पाकिस्तान में प्रवेश करने पर मीडिया से बात करते हुए राघवन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत बेहतर और दोस्ताना ताल्लुकात चाहता है, जिससे दोनों देशों के […]
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में नियुक्त भारत के नये उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने आज कहा कि आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
वाघा सीमा होकर पाकिस्तान में प्रवेश करने पर मीडिया से बात करते हुए राघवन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत बेहतर और दोस्ताना ताल्लुकात चाहता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को फायदा होगा.उन्होंने कहा कि आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिएं. दोनों देशों को व्यापार एवं सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहिए. वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के बाद से आतंकवाद भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में मुख्य अड़चन बना हुआ है.
भारतीय अधिकारियों ने इस हमले में संलिप्त संदिग्ध पाकिस्तानी आरोपियों के खिलाफ शीघ्र अभियोजन की मांग की है. इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है. वाघा में राघवन और उनकी पत्नी का पाकिस्तानी अधिकारियों ने अभिनन्दन किया.पाकिस्तान मामलों की व्यापक जानकारी रखने वाले राजनयिक राघवन करीब एक दशक पहले इस्लामाबाद में उप उच्चायुक्त के पद पर रह चुके हैं. वह शरत सभरवाल का स्थान लेंगे जिन्हें पिछले साल सेवानिवृत्ति के चरण में पहुंचने के बाद कई बार सेवा विस्तार दिया गया. सभरवाल इस माह के शुरु में भारत लौट गए.पाकिस्तान में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान राघवन ने शिवशंकर मेनन के तहत काम किया था, जो बाद में विदेश सचिव बनाए गए.
1982 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी राघवन को पाकिस्तान मामलों का व्यापक अनुभव है और पाकिस्तान के बुद्धिजीवी तथा राजनीतिक वर्ग में उन्हें काफी सम्मान प्राप्त है.
पाकिस्तान की राजधानी में उनके कई दोस्त भी हैं.वह पाकिस्तान के विदेश विभाग कार्यालय के मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी को अपने परिचय पत्र की एक प्रति सौंपेंगे.हालांकि, राघवन को अपने परिचय पत्र की प्रति सौंपने और अपना पदभार ग्रहण करने के लिए कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी एक निजी यात्रा पर लंदन गए हुए हैं. द न्यूज अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि जरदारी कब तक पाकिस्तान से बाहर रहेंगे. यदि जरदारी अपने कार्यकाल की समाप्ति तक पाकिस्तान से दूर रहना चाहते हैं तो राघवन के इंतजार की घड़ियां लंबी हो सकती है. दरअसल, जरदारी का कार्यकाल करीब छह हफ्तों में समाप्त होने वाला है.