फ्रांस को भारत के साथ छह अरब डॉलर की मैत्री परियोजना के आगे बढने की उम्मीद

पेरिस/नयी दिल्ली : भारत-फ्रांस के बीच छह अरब डॉलर की सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल प्रणाली परियोजना के ठंडे बस्ते में पडे होने के बावजूद फ्रांस को उम्मीद है कि भारत की नयी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देने से लंबे समय से रुकी इस परियोजना को लेकर समझौते पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2014 6:09 PM

पेरिस/नयी दिल्ली : भारत-फ्रांस के बीच छह अरब डॉलर की सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल प्रणाली परियोजना के ठंडे बस्ते में पडे होने के बावजूद फ्रांस को उम्मीद है कि भारत की नयी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देने से लंबे समय से रुकी इस परियोजना को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किया जाएगा.

हालांकि स्वदेश में विकसित आकाश के इस्तेमाल में लाए जाने के बाद भारतीय सशस्त्र सेनाएं मैत्री मिसाइल को लेकर उलझन में हैं लेकिन फ्रांस को करार पर हस्ताक्षर की उम्मीद है. भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और फ्रांस के एमबीडीए के बीच संयुक्त विकास एवं उत्पादन वाली मैत्री नाम की यह परियोजना 2007 में शुरू हुई थी.

पिछले साल फरवरी में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद की भारत यात्रा के दौरान सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल (एसआरएसएएम) के सह विकास के लिए एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया था. तब से स्थिति नहीं बदली है क्योंकि भारतीय वायुसेना को लगता है कि उसकी जरुरतें स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली (सतह से हवा में मार करने वाली) से पूरी हो सकती है.

वायुसेना की आपत्तियों को लेकर एमबीडीए के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हमने भारतीय वायुसेना द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देने के लिए पत्र लिखा है. हमें उम्मीद है कि समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएगा.’ अधिकारी ने साथ ही कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना समझौते के लिए उपयुक्त है.

उन्होंने कहा कि आकाश की मारक क्षमता केवल 25 किलोमीटर तक की है जबकि एसआरएसएएम 40 किलोमीटर तक वार कर सकेगा. भारतीय वायुसेना के सूत्रों ने कहा कि वह मैत्री परियोजना के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वे भारतीय-फ्रांसीसी मिसाइल का इंतजार करने की बजाए उपलब्ध आकाश मिसाइल के इस्तेमाल को तरजीह देंगे.

सूत्रों ने कहा, ‘मैत्री परियोजना आगे बढ सकती है लेकिन हमें मिसाइलों की जरुरत है और आकाश वह उद्देश्य पूरा कर रहा है.’ लेकिन फ्रांस परियोजना पर जोर दे रहा है और उसके अधिकारियों का कहना है कि आकाश और मैत्री दोनों को शामिल किया जा सकता है जिससे भारत की कुल आयुध क्षमता बेहतर होगी.फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां-वेस ल द्रिया ने परियोजना को लेकर मोदी सरकार को पत्र भी लिखा है.

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