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अब 25 किसान संगठनों ने किया कृषि कानून का समर्थन, कृषि मंत्री को सौंपा सहमति पत्र

25 farmer organisations, support of the new agriculture laws, Agriculture Minister Narendra Singh Tomar, kisan andolan kya hai mamla केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 33 दिनों से किसान का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसानों ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है और 29 दिसंबर को बातचीत के लिए आमंत्रित करने की मांग की है.

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 33 दिनों से किसान का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसानों ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है और 29 दिसंबर को बातचीत के लिए आमंत्रित करने की मांग की है. जहां एक ओर 24 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं देशभर के 25 किसान संगठनों (25 farmer organisations) ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलकर कानून के समर्थन (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) में अपनी सहमति पत्र सौंपी है.

सभी 25 किसान संगठनों कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर एक कार्यक्रम के दौरान अपना समर्थन पत्र सौंपा. मालूम हो इससे पहले भी हरियाणा, यूपी, बिहार के कई किसान संगठनों ने कृषि कानून का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री को सहमति पत्र सौंपा था.

किसान आंदोलन पर देश में राजनीति भी गर्म है. एक ओर भाजपा देशभर में कृषि कानूनों के समर्थन में जागरूकता अभियान चला रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पक्ष केंद्र के कृषि कानून को विरोध करते हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन कर समर्थन किया है. विपक्षी दलों ने सरकार ने कृषि कानून वापस लेने की मांग की है.

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित इन तीनों कृषि कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद पिछले 33 दिनों से जमे हुए हैं.

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प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला किया था और अगले चरण की बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने यह भी निर्णय लिया था कि 30 दिसंबर को कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. किसान दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर एवं टीकरी बॉर्डर पर जमे हुए हैं. प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जतायी है कि नये कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.

Posted By – Arbind kumar mishra

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