राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट, देश के इन 5 राज्यों में ‘कम उम्र में विवाह’ सबसे ज्यादा
देश में फिलहाल स्त्रियों के लिए विवाह की कानूनी न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है, लेकिन सरकार दोनों ही के लिए विवाह की न्यूनतम वैधानिक आयु को 21 वर्ष करने की योजना बना रही है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) द्वारा कम उम्र में होने वाले विवाह के संबंध में 2019 से 2021 के बीच किये गये ताजा सर्वेक्षण में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, 2019-21 के दौरान 18 से 29 साल उम्र की विवाहित महिलाओं में से 25% महिलाएं ऐसी हैं जिनका विवाह भारत में कानूनी रूप से तय विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से पहले हुआ.
ऐसे ही 21 से 29 साल आयु के कानूनी उम्र 21 साल से पहले विवाह करने वाले पुरुषों की संख्या 15% थी. देश में फिलहाल स्त्रियों के लिए विवाह की कानूनी न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है, लेकिन सरकार दोनों ही के लिए विवाह की न्यूनतम वैधानिक आयु को 21 वर्ष करने की योजना बना रही है.
कम उम्र में शादी करने का चलन हुआ कम
आयुवर्ग महिला पुरुष
20 से 24 वर्ष 2 3% 18%
45 से 49 वर्ष 47% 27%
प्रजनन दर 2.2 से घट कर 2.0 हुई
देश में केवल पांच राज्य ऐसे हैं, जहां प्रजनन दर 2.1 के ऊपर
बिहार 2.98
मेघालय 2.91
उत्तर प्रदेश 2.35
झारखंड 2.26
मणिपुर 2.17
देश में गर्भनिरोधक का इस्तेमाल बढ़ा
समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर देश में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गयी है. गर्भनिरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ गया है. परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गयी है.
अस्पतालों में जन्म 79 फीसदी से बढ़ कर 89 फीसदी
देश में संस्थागत जन्म 79% से बढ़ कर 89% हो गये हैं. यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87% जन्म संस्थानों में दिया जाता है और शहरी क्षेत्रों में यह 94% है. असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.