नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वॉड्रा को लेकर हरियाणा सरकार काफी परेशान हो गयी है. उसे वॉड्रा और डीएलएफ कंपनी के बीच हुए जमीन सौदे की जांच से जुड़ी फाइलें अबतक नहीं मिल पायी है न तो सरकार की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी इन दस्तावेजों का पता लगा सका. राज्य सूचना आयोग में भी इन गायब दस्तावेजों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है.
अब ऐसे में देखना है कि वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई का दावा करने वाली भाजपा सरकार क्या कर पाती है.वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने राबर्ट वाड्रा को हरियाणा की भूमि नीति में निर्धारित मापदंडों से अधिक भूमि आवंटित किए जाने संबंधी प्रदेश सरकार के बयान पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद के खिलाफ ‘‘किस्तों में मानहानि अभियान’’ चलाया जा रहा है.
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमने पहले ही पूरी तरह से दिखा चुके हैं कि यह और कुछ नहीं बल्कि किस्तों में चलाया जा रहा मानहानि अभियान है. यह कुछ नहीं है बल्कि एक ही मुद्दे को खींचने वाली बात है जिसमें उच्चाधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति को कोई अनियमितता नहीं मिली है.’’
वह उन रिपोर्ट के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे जिनमें कहा गया था कि मामले की जांच करने वाले हरियाणा सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने अब पाया है कि वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी का सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक जमीन पर मालिकाना कब्जा है. सिंघवी ने कहा, ‘‘ हरियाणा सरकार द्वारा गठित समिति ने कोई अनियमितता नहीं पायी थी. अब एक नई सरकार और नए मुख्यमंत्री ने प्रदेश की कमान संभाली है और उसके बाद पहले वाले तीन अधिकारियों के कनिष्ठ अधिकारियों की एक नई समिति गठित की गयी जिसे कुछ और पता लगा. यह कतई उचित नहीं है.’’