अपनी शर्तों पर आजाद होना चाहती है सीबीआई
नई दिल्ली:सीबीआई को सरकार के दखल से दूर रखने के प्रस्तावों के बीच सीबीआई ने खुद अपनी आजादी को लेकर कुछ खास मांगें रखी हैं. इस मामले में सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. सीबीआई ने मांग की है कि उसके डायरेक्टर को केंद्र सरकार के सेक्रेटरी के बराबर का […]
नई दिल्ली:सीबीआई को सरकार के दखल से दूर रखने के प्रस्तावों के बीच सीबीआई ने खुद अपनी आजादी को लेकर कुछ खास मांगें रखी हैं. इस मामले में सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. सीबीआई ने मांग की है कि उसके डायरेक्टर को केंद्र सरकार के सेक्रेटरी के बराबर का औहदा दिया जाए. इसके साथ ही सीबीआई ने ज्यादा ऐडमिनेस्ट्रेटिव और फाइनैंशल पावर्स भी मांगी हैं, ताकि वह आत्मनिर्भर होकर काम कर सके.
सीबीआई को स्वतंत्र बनाने के लिए कैबिनेट की तरफ से अप्रूव किए संशोधनों का जवाब देते हुए सीबीआई ने कई बातें रखीं. जांच में किसी तरह की दखलअंदाजी न हो, इसके लिए एजेंसी ने सरकार के बहुत से पॉइंट्स से असहमति दिखाई. इन मुद्दों में सीबीआई के डायरेक्टर का कार्यकाल भी है. सीबीआई ने कहा कि डायरेक्टर को पर्याप्त फाइनैंशल और ऐडमिनेस्ट्रेटिव पावर्स दी जानी चाहिए. एजेंसी ने अपने डायरेक्टर का कार्यकाल भी कम से कम 3 साल का रखने की मांग की है.
सीबीआई यह अधिकार चाहती है कि इन्वेस्टिगेशन के दौरान कोई भी उस पर प्रेशर बनाकर जांच प्रभावित न कर सके. सीबीआई ने कहा कि उसे करप्शन के मामलों के अलावा दूसरे केसों में सरकार की अथॉरिटी स्वीकार है. एजेंसी ने कहा, ‘यह जरूरी है कि सीबीआई के डायरेक्टर को भारत सरकार के सेक्रेटरी के बराबर पावर्स हों, ताकि वह मंत्रालयों से सीधे संपर्क में रह सकें.‘
सीबीआई ने कहा कि सीआरपीएफ के डीजी के बराबर की फाइनैंशल पावर्स काफी नहीं है और हमारे लिए बजट में अलग से प्रावधान किया जाए.सीबीआई चाहती है कि उसका डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन को लेकर संबंधित मंत्रालय से आजाद रहे. सीबीआई की मांग है कि कौन से केस को इन्वेस्टिगेशन के लिए अप्रूव करना है और किसे नहीं, यह तय करने के लिए सीवीसी, कैबिनेट सचिव और सीबीआई के डायरेक्टर का एक पैनल बनाया जाना चाहिए. जाहिर है कि सीबीआईऑटोनॉमीतो चाहती है, लेकिन अपनी शर्तों पर. सरकार के ‘ऑफर‘ से वह संतुष्ट नहीं है.