फर्जी मुठभेड़ मामले में अमित शाह आरोप मुक्त, BJP ने कहा, सत्य की जीत हुई
मुबई :भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को विशेष अदालत ने मंगलवार को सोहराबुद्दीन और के फर्जी मुठभेड़ और तुलसी प्रजापति की हत्या के मामले में आरोप मुक्त कर दिया. मुंबई की विशेष सीबीआइ अदालत से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आज बड़ी राहत मिली. उनकी आरोप मुक्त किये जाने संबंधी याचिका को अदालत […]
मुबई :भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को विशेष अदालत ने मंगलवार को सोहराबुद्दीन और के फर्जी मुठभेड़ और तुलसी प्रजापति की हत्या के मामले में आरोप मुक्त कर दिया. मुंबई की विशेष सीबीआइ अदालत से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आज बड़ी राहत मिली. उनकी आरोप मुक्त किये जाने संबंधी याचिका को अदालत ने स्वीकार कर लिया है. अपनी याचिका में अमित शाह ने कहा था कि सीबीआइ ने उन्हें बेवजह इस मामले में फंसाया है.उन पर सोहराबुद्दीन (2005 का मामला) व तुलसी प्रजापति इनकाउंटर (2006 का मामला) मामले में आरोप था. इस मामले में उन्हें 2006 में गुजरात कैबिनेट से गृह राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वे इस मामले में लंबे समय तक अपने गृह राज्य से बाहर भी रहे और उन्हें जेल में भी रहना पड़ा.
अमित शाह को क्लीन चिट दिये जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है. सत्यमेव जयते. भाजपा नेता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि न्यायपालिका में हमारी आस्था थी कि एक दिन सत्य की जीत होगी. आज के फैसले से कांग्रेस एक्सपोज हुई है. वह पराजित हुई है.
सोहराबुद्दीन के परिवार ने अदालत के इस फैसले से नाराजगी जतायी है. सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने सीबीआई पर आरोप लगाया कि सीबीआई ने उन्हें बचाया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शाह को बचा रही है. उन्होंने अदालत के उस कथन को दुहराया कि सीबीआई तोता है. रुबाबुद्दीन ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
पहले सोहराबुद्दीन फर्जीमुठभेड़मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही थी. सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह का नाम भी आरोपियों में शामिल था. अमित शाह ने खुद को आरोप मुक्त करने के लिए अर्जी दायर की थी.
ज्ञात हो किसोहराबुद्दीनशेख नवंबर 2005 को अपनी पत्नी के साथ हैदराबाद से सांगली जा रहा था. रास्ते में ही गुजरात के एंटी टेरीरिज्म स्क्वाड ने उन दोनों का अपहरण कर लिया था और उनकी फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गयी. मामले के करीब साल भर बाद इस मुठभेड़ के एकमात्र गवाहतुलसीराम प्रजापति की भी फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गयी थी. सोहराबुद्दीन का नाम लश्कर-ए -तैयबा से जुड़े होने की खबरे मिली थीं.
मामले के आरोपियों में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह का नाम बताया गया था और कहा गया था कि उनकी ही अनुमति से फर्जी मुठीभेड़ हुई, जिसमें सोहराबुद्दीन को मार दिया गया. इस मामले में अमित शाह के साथ कई पुलिस अधिकारी और 37 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गयी थी. मामले से संबधित लगभग सभी आरोपियों को बंबई हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी.
अमित शाह ने इस साल की शुरुआत में ही मामले से अपना नाम हटाने की अर्जी दायर करते हुए कहा थाकि राजनीतिक षड्यंत्रके तहत उनका नाम इस मामले में लाया गया. सीबीआई कोर्ट ने शाह के खिलाफ घटना की साजिश रचने और सबूत मिटाने का केस दर्ज किया था. इसमें राजस्थान के मंत्री गुलाबचंद्र कटारिया का नाम भी शामिल है.
आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने सीबीआई द्वारा केस को कमजोर किये जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जानबूझकर अमित शाह के खिलाफ मजबूती से पक्ष नहीं रखा, इसलिए कोर्ट ने दोनों मामलों से उनका नाम हटाने का फैसला दिया है.