अंबेडकर के शोधों, आर्थिक सिद्धांतों की अनदेखी हुई : आरएसएस

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज अफसोस जताया कि एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होने के बाद भी बी आर अंबेडकर के सिद्धांतों और थीसिस को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है तथा यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि देश के विश्वविद्यालयों में उन पर शोध नहीं हो रहे हैं. आरएसएस के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2014 2:02 AM

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज अफसोस जताया कि एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होने के बाद भी बी आर अंबेडकर के सिद्धांतों और थीसिस को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है तथा यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि देश के विश्वविद्यालयों में उन पर शोध नहीं हो रहे हैं.

आरएसएस के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल ने अंबेडकर को ‘‘महान’’ श्रमिक नेता करार देते हुए कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता के अलावा विभिन्न श्रम कानूनों के कई नियम उनके द्वारा लाए गए थे जो अब भी प्रासंगिक बने हुए हैं.इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डा अंबेडकर पर केंद्रित छठे स्मारक आख्यान में गोपाल ने कहा, ‘‘
वह प्रख्यात अर्थशास्त्री थे लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसी भी विश्वविद्यालय में उन पर कोई अच्छा शोध नहीं हुआ..उनके आर्थिक सिद्धांतों पर भी नहीं.’’ गोपाल ने दावा किया कि कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल आफ इकोनोमोक्सि जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों से पढाई करने वाले और कई महत्वपूर्ण शोधपत्र पेश करने वाले अंबेडकर के शोधों और पत्रों का उचित तरीके से प्रकाशन भी नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में छोटी जोत और उनका निराकरण अंबेडकर का काफी महत्वपूर्ण शोधपत्र है.. किस प्रकार खेती की जमीन छोटी हो रही है. देश का आर्थिक विकास छोटी जोतों के जरिए संभव नहीं है.. उन्होंने यह 100 साल पहले कहा था…’’ उन्होंने कहा कि अंबेडकर के जीवन में तीन गुरु बुद्ध, कबीर और महात्मा फुले थे तथा उन तीनों को समङो बिना अंबेडकर को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता.

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