इशरत मामला:आईबी और सीबीआई में कोई कलह नहीं

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले में खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के मुद्दे पर आईबी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच किसी तरह की कलह से सरकार ने आज इंकार किया.केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आर पी एन सिंह ने कहा कि आईबी और सीबीआई के बीच कलह का सवाल ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2013 6:54 PM

नयी दिल्ली : इशरत जहां मामले में खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के मुद्दे पर आईबी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच किसी तरह की कलह से सरकार ने आज इंकार किया.केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आर पी एन सिंह ने कहा कि आईबी और सीबीआई के बीच कलह का सवाल ही नहीं उठता. यह पूछने पर कि क्या सीबीआई और आईबी के बीच कथित लडाई के कारण देश की आंतरिक सुरक्षा से समझौता नहीं होगा, सिंह ने कहा कि सीबीआई और आईबी देश की प्रमुख संस्थाएं हैं. इस मुद्दे से आंतरिक सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों एवं प्रेस के लोगों (पत्रकारों) को ऐसी (सीबीआई और आईबी) प्रमुख संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. ये गंभीर संगठन हैं और एक दूसरे पर कीचड नहीं उछाल रहे हैं लेकिन अखबारों और टेलीविजन चैनलों में गलत ढंग से खबरों को पेश किया जाना जारी है जबकि इनमें कोई सचाई नहीं है. कीचड उछालने का काम मीडिया में हो रहा है. राज्य मंत्री से सवाल किया गया था कि क्या इशरत जहां मामले ने माहौल को खराब किया है और ऐसा लगता है कि विशेष निदेशक राजिन्दर कुमार सहित आईबी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने को लेकर आईबी और सीबीआई के बीच ठन गयी है.


उन्नीस साल की इशरत जहां मुंबई के एक कालेज में छात्र थी. उसे और तीन अन्य लोगों को 2004 में फर्जी मुठभेड में गुजरात पुलिस ने कथित रुप से मार गिराया था. मुठभेड में इशरत के अलावा प्राणोश पिल्लई (उर्फ जावेद गुलाम शेख), अमजद अली राणा और जीशान जौहर मारे गये. यह घटना अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच एक खाली सडक पर हुई. 11 जून 2004 को इशरत जावेद के साथ नासिक के लिए रवाना हुई थी. यह नहीं पता लग सका है कि वह 15 जून 2004 को कैसे गुजरात आ गयी. अहमदाबाद की अदालत में तीन जुलाई को दाखिल सीबीआई के आरोपपत्र के मुताबिक चारों फर्जी मुठभेड में मारे गये. आरोपपत्र में कहा गया कि इशरत और तीन अन्य लोगों को अवैध रुप से बंदी बनाकर रखा गया. उन्हें 15 जून 2004 को मारने से पहले बेहोशी की दवा दी गयी थी.सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया कि एजेंसी के पास यह साबित करने के साक्ष्य हैं कि चारों लोगों को अवैध रुप से बंदी रखा गया और बाद में मार दिया गया.

लेकिन सीबीआई के आरोपपत्र में यह जिक्र नहीं है कि इशरत और अन्य आतंकवादी थे या नहीं. इस सवाल पर कि क्या इशरत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तय्यबा की सदस्य थी और क्या मुंबई आतंकी हमले के आरोपी हेडली ने एनआईए को यह बात बतायी है, आरपीएन सिंह ने कहा कि वह ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे क्योंकि गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे पहले ही इस बारे में बात कर चुके हैं.शिन्दे ने कल कहा था कि गृह मंत्रालय मुंबई आतंकी हमले के अरोपी डेविड हेडली द्वारा दी गयी जानकारी का खुलासा नहीं कर सकता क्योंकि गोपनीयता को लेकर अमेरिका से समझौता किया गया है.

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