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जम्‍मू कश्‍मीर में भाजपा-पीडीपी गंठबंधन के आसार, महबूबा ने दिये संकेत

जम्मू : राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात के बाद आज पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार की जमकर तारीफ की और यूपीए सरकार की आलोचना की. उन्होंने वाजपेयी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के लिए शुरू किये गये कार्यो को गिनाया और कहा कि पिछली यूपीए सरकार […]

जम्मू : राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात के बाद आज पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार की जमकर तारीफ की और यूपीए सरकार की आलोचना की. उन्होंने वाजपेयी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के लिए शुरू किये गये कार्यो को गिनाया और कहा कि पिछली यूपीए सरकार ने जम्मू कश्मीर को मदद रोक दी थी.महबूबामुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ तो नहीं की, लेकिन यह जरूर कहा कि जम्मू कश्मीर का जनादेश उनके लिए और देश के लिए चुनौती है. महबूबा मुफ्ती के इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि वे राज्य में भाजपा के साथ सरकार बनाने की तैयारी में हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे राज्य में सरकार बनाने की जल्दबाजी में नहीं हैं और उनके पास 55 से अधिक विधायकों का समर्थन है.

राज्यपाल से मुलाकात के बाद पीडीपी अध्‍यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुलाकात के दौरान राज्य में सरकार गठन पर चर्चा हुई. पीडीपी सरकार बनाने को लेकर जल्दबाजी नहीं करेगी.

भाजपा की ओर झुकाव दिखाते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के वक्त जम्मू कश्‍मीर की यादों को ताजा करते हुए कहा कि हमारे पास 55 से ज्यादा विधाय‍क हैं. सरकार गठन का मुख्‍य उद्देश्‍य राज्य का विकास और जन कल्याण होगा. जोड़ तोड़ करके सरकार बनाना पीडीपी का मकसद नहीं है.

जम्मू-कश्मीर प्रबंधन और शासन के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील राज्य है. यह राज्य हर तरह से एक-दूसरे से भिन्न क्षेत्रों को मिला कर बना है. जम्मू में हिंदू बहुसंख्यक हैं और यहां मुसलिम आबादी भी 29 फीसदी है.

ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पीडीपी के लिए सरकार बनाने को लेकर सही निर्णय ले पाना टेढी खीर साबित हो रहा है. उसके पास दो रास्ते हैं एक यह कि वह भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाये जिसके बाद उसे अन्य किसी दल के साथ गंठबंधन करने की आवश्‍यकता नहीं पड़ेगी और दूसरा यह की वह नेशनल कॉफ्रेंस और कांग्रेस के साथ मिलकर महागंठबंधन बनाये.

19 जनवरी के पहले राज्य में सरकार गठन आवयश्‍क है. अब ऐसे में देखना है कि भाजपा और पीडीपी सरकार गठन को लेकर क्या फैसला लेती है.

राज्य के कुल क्षेत्रफल के 12 फीसदी से कम हिस्से में स्थित कश्मीर घाटी में लगभग पूरी आबादी मुसलिम समुदाय की है. वहां लगभग 50 हजार हिंदू और सिख रहते हैं. कश्मीरी नेतृत्व कई समूहों में बंटा हुआ है. यहां पीडीपी को सर्वाधिक सीटें मिली है. इसलिए यहां के लोगों की मांगों के आधार पर उन्हें गंठबंधन का फैसला लेना होगा.

गौरतलब है कि 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें जीतकर पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं 25 विधायकों के साथ भाजपा राज्य में दूसरी बड़ी पार्टी है. 15 विधायक नेशनल कांफ्रेंस के पास और 12 विधायक कांग्रेस के पास हैं.

जम्मू-कश्मीर पर पूरे देश की निगाहें हैं. जिस तरह का ध्रुवीकरण वहां हुआ है, उससे स्थिति पेचीदा हो गयी है. अब दोनों बड़े राजनीतिक दलों पीडीपी और भाजपा पर निर्भर करता है कि वे इस स्थिति का पार्टी-हित में फायदा उठाने की चाल चलेंगे या फिर जम्मू-कश्मीर के हित को देखते हुए फैसला करेंगे.

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