आरएसएस हमें एकसाथ बांधे रखता है: आडवाणी

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘‘वैचारिक परिवार’’ का वह प्रमुखस्त्रोतहै जो ‘‘हमें एकसाथ बांधे रखता’’ है. गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी के खिलाफ आडवाणी के विद्रोह को शांत करने के लिए संघ के दखल के करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2013 2:32 AM

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘‘वैचारिक परिवार’’ का वह प्रमुखस्त्रोतहै जो ‘‘हमें एकसाथ बांधे रखता’’ है. गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी के खिलाफ आडवाणी के विद्रोह को शांत करने के लिए संघ के दखल के करीब एक महीने बाद इस वरिष्ठ नेता ने यह बयान दिया है.

संघ से काफी करीब से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार बालेश्वर अग्रवाल की स्मृति में एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर आडवाणी ने कहा, ‘‘मैं हमेशा सोचता हूं कि हमारे अपने निजी परिवार हो सकते हैं पर हमारा वैचारिक परिवार तो हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही रहेगा. यह हमें एक साथ बांधे रखता है.’’

आडवाणी का यह बयान काफी अहम है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब महीने भर पहले इस भाजपा नेता ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था तो उस वक्त संघ ने ही मामले में दखल दिया था. मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने के विरोध में आडवाणी ने सभी पदों से इस्तीफा दिया था. संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आडवाणी से बात किए जाने के बाद ही उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लिया था.

आडवाणी ने संघ के साथ अपने छह दशक से भी ज्यादा पुराने संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह जनसंघ में इसलिए शामिल हुए क्योंकि वह संघ के उन कार्यकर्ताओं में से थे जिन्हें पार्टी के लिए काम करने के मकसद से चुना गया था. यह उस वक्त हुआ जब जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संघ का समर्थन मांगा था.

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आजादी के पहले कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली. इसके बाद उसने विभिन्न तरीके से देश की सेवा की. उसने भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता, जनजाति कल्याण..में दिलचस्पी ली.’’ आडवाणी ने कहा कि अग्रवाल एक नि:स्वार्थ कार्यकर्ता थे जिन्होंने हमेशा सिद्धांत का ख्याल रखा.जिस पुस्तक का विमोचन किया गया उसका नाम ‘बालेश्वर अग्रवाल: व्यक्ति और विचार’ है. इसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.

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