नयी दिल्ली :नए साल के आगाज के वक्त ही गुजरात के पोरबंदर के समुद्र तट के पास भारतीय तटरक्षकों ने मुंबई में हुए 26/11 के हमले के जैसा एक और हमला दोहराने की आतंकवादियों की साजिश को नाकाम कर दिया. भारतीय तटरक्षकों के हाथों पकड़े जाने के डर से आतंकियों ने खुद अपनी ही बोट में आग लगा दी. इस बार हमारे देश के खुफिया तंत्र की मजबूती और तटरक्षकों की चौकसी ने एक बड़े हमले को रोक दिया. इस तरह की हरकत करके पाकिस्तान ने अपनी दोहरी रणनीति को और साफ कर दिया है. खुफिया एजेसियों ने ऐसी गतिविधि होने की जानकारी पाकिस्तान से किये जा रहे फोन कॉल्स को ट्रेस करके हासिल कर लि थी. मुंबई हमलों के वक्त देश की खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेसियों के बीच जानकारी के आदान-प्रदान और ताल-मेल की कमी को ही 26/11 के दुखद हमले के सफल होने का कारण बताया गया था. इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ और देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने आपसी ताल-मेल का बेहतरीन नमूना प्रस्तुत करते हुए बड़ी ही चालाकी और मुस्तैदी से नए साल के समय देश को नुकसान पहुचाने की इस कोशिश को विफल कर दिया.
उधर, देश की सीमा पर बार- बार संघर्ष विराम के उल्लंघन की ओट में जम्मू-कश्मीर के बॉर्डर से आतंकियों को भारत में प्रवेश कराने की कोशिश को सीमा सुरक्षा बलों ने पहले ही नाकाम कर रखा है. आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसकी पुष्टि कर दी कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से आतंकियों को प्रवेश कराना चाहते है.
अब सवाल ये उठता है कि देश में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद ऐसा क्यों हो रहा है कि देश में कई जगहों से आतंकी घुसपैठों की कोशिशों की सूचना मिल रही है. इसके अलावा सीमा पर भी बार-बार पाकिस्तानी सेना संघर्ष-विराम का उल्लंघन करके गोलीबारी कर रही है.
क्या मोदी सरकार ने आतंकियों की नींद उड़ा रखी है या फिर पाकिस्तान और उसके प्रायोजित ये आतंकी भारत में बनी एक मजबूत और दृढ इच्छा शक्ति वाली सरकार को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मान रहे हैं
क्यों बौखलाया है पाकिस्तान !
भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. शपथ ग्रहण समारोह में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति का परिचय देते हुए सार्क देशों को आमंत्रित किया. इस आमंत्रण में पाक को भी न्यौता दिया गया. उम्मीद थी कि इस न्यौते के जरिये एक नये रिश्ते की नींव रखी जायेगी लेकिन नवाज शरीफ जैसे ही पाकिस्तान पहुंचे. सीमा पर हलचल तेज हो गयी और पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन तेज कर दिया. इसके अलावा कई जगहों पर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी, चाहे वह सचिव स्तर की वार्ता का रद्द होना हो या कई अतंरराष्ट्रीय आयोजन. पाकिस्तान में हमेशा से नवाज शरीफ की सत्ता का दोहरा रूख रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुई किरकिरी
पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हमेशा की तरह पाकिस्तान का राग अलापना नहीं भुला लेकिन इस बार उसे भारत की तरफ से करारा जवाब मिला. आतंकवाद का गढ़ बन चुके पाकिस्तान को भारत ने आतंक खत्म करने की नसीहत दी. पाकिस्तान में सरकार और आतंक के बीच अस्तित्व के संघर्ष को लेकर हुए आतंरिक कलह का ही नमूना पेशावर में हुए आर्मी स्कूल में हुए बच्चों की मौत से दी. बेशक यह एक आतंकी हमला था लेकिन पाकिस्तान के लिए यह आत्मचितंन का वक्त था.
जमात उल दावा और अल-कायदा की भारत और मोदी को लेकर धमकी
भारत में नयी सरकार के गठन से पहले ही मुंबई हमले के मास्टरमाइंट हाफिज सईद ने भारत के खिलाफ सार्वजनिक स्तर पर आग उगलनी शुरू कर दी थी. पेशावर हमले के बाद हाफिज ने सार्वजनिक मंच से भारत से बदला लेने की धमकी दी थी और भारत और नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान का दुश्मन नंबर 1 बताया था. दूसरी तरफ अल-कायदा के कमांडर ने भी भारत में अपने विस्तार और एक समुदाय विशेष को उठ खड़ा होने के लिए उकसाना शुरू कर दिया है. इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति इन संगठनों के दम पर दहशत और हमले के साथ भी आगे बढ़ाता रहा है. तहरीक के ए तालिबान के कमांडर ने हाल में ही अपने बयान में इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि किस तरह पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नौजवानों को आतंकी बना कर अपने हित के लिए इस्तेमाल किया. पाक की दोहरी नीति हमेशा से उसके लिए नुकसानदायक रही है. लेकिन पाक अभी भी इससे बाज नहीं आ रहा.
बराक ओबामा के भारत आगमन की वजह से दहशत फैलाना चाहते हैं आतंकी
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति बराक ओबामा 26 जनवरी के मौके पर भारत में मुख्य अतिथि के रूप में आ रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान यह कोशिश में लगा है कि भारत को एक असुरक्षित जगह करार दिया जा सका. बेंगलुरु में धमाके और रोज- रोज आतंकियों की गिरफ्तारी से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. भारत में कई बड़े शहरों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. भारतीय तटरक्षकों ने पाकिस्तान से विस्फोटक भर कर आ रही इस पाकिस्तानी बोट को रोककर इस बात का परिचय दिया है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर किसी भी मामले में कमजोर नहीं है. हालांकि पाकिस्तान ने बराक ओबामा से निवेदन किया है कि इस मौके पर ओबामा कश्मीर मुद्दा उठायें लेकिन दोहरी रणनीति के तहत भारत को कमजोर साबित करने की पूरी कोशिश कर रहा है.