सीएसइ शोध समूह का दावा, छत्तीसगढ़ नसंबदी में मौत का कारण दवा नहीं बल्कि संक्रमण
नयी दिल्ली: छत्तीसगढ के नसबंदी शिविर में 13 महिलाओं की मौत के कारण के संबंध में राज्य सरकार के दावे को चुनौती देते हुए एक शोध समूह ने दावा किया है कि आपरेशन के बाद संक्रमण होने के कारण उन महिलाओं की मौत हुयी थी. प्रदेश सरकार का दावा था कि मिलावटी दवाइयों के कारण […]
नयी दिल्ली: छत्तीसगढ के नसबंदी शिविर में 13 महिलाओं की मौत के कारण के संबंध में राज्य सरकार के दावे को चुनौती देते हुए एक शोध समूह ने दावा किया है कि आपरेशन के बाद संक्रमण होने के कारण उन महिलाओं की मौत हुयी थी. प्रदेश सरकार का दावा था कि मिलावटी दवाइयों के कारण उन महिलाओं की मौत हुयी थी.
सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की पत्रिका डाउन टू अर्थ द्वारा करायी गयी एक विस्तृत जांच में पता लगा है कि मौतों की वजह आपरेशन के बाद का संक्रमण था.सीएसई के अनुसार, ‘‘हमारी शोध से खुलासा हुआ है कि मौतों के संबंध में सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों का यह दावा सही नहीं हैं कि इसका कारण मिलावटी दवाइयां हैं.’’ सीएसई महानिदेशक सुनीता नारायण ने आज कहा, ‘‘ हमारे सहयोगी ने जिले का व्यापक दौरा किया और सरकारी अधिकारियों तथा नसबंदी शिविरों में सहभागियों दोनों से मुलाकात की. उन्होंने पाया है कि आपरेशन के बाद संक्रमण के कारण मौतें हुयीं.’’
बिलासपुर में नवंबर में नसबंदी शिविरों में 13 महिलाओं की मौत हो गयी थी और 100 से ज्यादा महिलाएं गंभीर रुप से बीमार हो गयी थीं. राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए न्यायिक जांच टीम गठित की है.सुनीता नारायण ने दावा किया कि पत्रिका की ओर से घटना की जांच करने वाले सहयोगी ने पोस्टमार्टम रिपोर्टें देखी हैं जिनमें कहा गया है कि महिलाओं में सेप्टीसीमिया (घातक संक्रमण) हो गया था.उन्होंने कहा कि जांच से 2006 के बंध्याकरण संबंधी राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन होने का पता लगता है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत का परिवार नियोजन रुख लक्ष्य आधारित, कैंप आधारित, बंध्याकरण केंद्रित हो गया है जहां डाक्टरों और परिवारों को ऐसी प्रक्रियाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
ऐसा इस तथ्य के बावजूद होता है कि राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लक्ष्यों को हतोत्साहित करती है.’’ सीएसई ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में सुधार का सुझाव दिया और कहा कि ‘‘लक्ष्य पर प्रोत्साहन आधारित रुख’’ से आगे बढने और इसे हेल्थकेयर सेवाओं का हिस्सा बनाए जाने की जरुरत है.इस बीच पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट ‘‘आपरेशन कवर अप’’ में कहा कि उसने सात पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी है. उनमें पांच महिलाओं की मौत 11 नवंबर को हुयी थी जबकि 12 और 13 नवंबर को एक एक महिलाओं की मौत हुयी थी.
पत्रिका ने दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के एक फारेंसिक विशेषज्ञ का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं में संक्रमण बढता ही गया. रिपोर्ट से पता लगता है कि महिलाएं संक्रमित हो गयीं और यह वैसे उपकरणों से ही हुआ होगा जिन्हें कीटाणुरहित नहीं किया गया हो.रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ ही, ‘‘प्रशासन द्वारा मिलावटी दवाइयों के संबंध में खूबसूरती से तैयार की गयी कहानी समाप्त हो जाती है. ’’