102वें विज्ञान कांग्रेस में बोले मोदी, डिजीटल संपर्क भी एक बुनियादी अधिकार बन जाना चाहिए
मुंबई :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां 102वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्धघाटन किया.विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैज्ञानिकों को शोध के काम के लिए सरकार की ओर से फंड की कोई कमी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि विज्ञान के द्वारा ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा. संसाधन […]
मुंबई :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां 102वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्धघाटन किया.विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैज्ञानिकों को शोध के काम के लिए सरकार की ओर से फंड की कोई कमी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि विज्ञान के द्वारा ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा. संसाधन से ज्यादा जरुरी विज्ञान को आगे ले जाने की सोच और समर्पण है.
PM, Shri @narendramodi at the inauguration ceremony of the 102nd Indian Science Congress 2015, in Mumbai today pic.twitter.com/Arg9lw1VsA
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) January 3, 2015
विज्ञान और तकनीक के जरिए हम दुनिया की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. कार्यक्रम के दौराप प्रधानमंत्री ने नोबेल पुरस्कार और उसे समकक्ष पुरस्कारों के विजेताओं को सम्मानित किया. 102वां विज्ञान कांग्रेस हैं. विज्ञान कांग्रेस की स्थापना 1914 में की गयी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समारोह में शामिल होकर गौरान्वित महसूस कर रहा हूं.
उन्होंने कहा कि पहली कोशिश में ही मंगल ग्रह पर पहुंचना हमारी बड़ी कामयाबी है. अपनी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन अभी कई चुनौतियों का सामना करना है. पीएम ने कहा कि वेस्ट को वेल्थ में बदलने की सोच के साथ आगे बढ़ना है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के काम से वे काफी प्रभावित हैं.समाज के हर तबके तक विज्ञान की पहुंच होनी चाहिए. विज्ञान के गलत इस्तेमाल से हमें नुकसान भी हो सकता है.
To me, the arms of science, technology and innovation must reach the poorest, the remotest and the most vulnerable person: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 3, 2015
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘स्कूल जाने के अधिकार की ही तरह डिजीटल संपर्क भी एक बुनियादी अधिकार बन जाना चाहिए. हमने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपने राजनयिक संपर्कों में सबसे आगे रखा है. सबसे उपर हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के गौरव और सम्मान को बहाल करना होगा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शीर्ष पर रखना होगा.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल कनेक्टिविटी एक मौलिक अधिकार बन जाना चाहिए. हर नागरिक को विज्ञान से जोड़ना आवश्यक है. उन्होंने कहा किअनुसंधान करने की सहूलियत उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कारोबार करने की सहूलियत. और अनुसंधान में कभी भी पैसों की कमी नहीं होने दी जायेगी, सरकार का यह प्रयास होगा.
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता सरकारी प्रक्रियाओं की नहीं, विज्ञान की गुत्थियां सुलझाएं.’ उनका इशारा देश में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अनुसंधान के लिए धन मिलने में विलंब तथा वैश्विक सम्मेलनों में शामिल होने के लिए अनुमति प्रक्रिया में विलंब के बारे में की जाने वाली शिकायतों की ओर था.
पीएम मोदी ने कहा, ‘आपको मुझसे बेहतर समर्थक नहीं मिलेगा. इसके बदले में मैं देश में बदलाव लाने में आपकी मदद चाहता हूं.’ उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि उनकी उपलब्धियों का जश्न उसी तरह मनाया जाना चाहिए जिस तरह का जश्न अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलने पर हम मनाते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकता के शीर्ष पर रखने की जरुरत है. सर्वोपरि, हमें हमारे देश में विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का गौरव और प्रतिष्ठा बहाल करनी चाहिए.’ मोदी ने वैज्ञानिकों से ज्यादा उचित, प्रभावी टिकाउ एवं किफायती प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए पारंपरिक स्थानीय ज्ञान का समावेश करने का आग्रह किया ताकि विकास एवं प्रगति में जबरदस्त योगदान मिल सके.
उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के हाथ निर्धनतम, दूरस्थ स्थल पर रहने वाले एवं सर्वाधिक जरुरतमंद व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि डिजिटल संपर्क उतना ही मौलिक अधिकार बनना चाहिए जितना स्कूल तक पहुंच है.