पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ ”नस्लीय टिप्पणी” की तो होगी 5 साल की जेल
नयी दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन एक प्रस्ताव के मुताबिक किसी को ‘चिंकी’ या ‘चाइनीज’ कहने या किसी के खिलाफ नस्ल, संस्कृति या शारीरिक भाव-भंगिमा से जुडी अभद्र टिप्पणियां करने पर आप पांच साल तक के लिए जेल भेजे जा सकते हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि उनका मंत्रालय […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन एक प्रस्ताव के मुताबिक किसी को ‘चिंकी’ या ‘चाइनीज’ कहने या किसी के खिलाफ नस्ल, संस्कृति या शारीरिक भाव-भंगिमा से जुडी अभद्र टिप्पणियां करने पर आप पांच साल तक के लिए जेल भेजे जा सकते हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि उनका मंत्रालय एक उच्च-स्तरीय समिति द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.
जिस समिति ने यह प्रस्ताव दिया है उसने दिल्ली और देश के कुछ अन्य हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों पर हुए हमलों की जांच की थी. राजनाथ ने कहा कि दिल्ली एवं देश के अन्य हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों की संरक्षा एवं सुरक्षा के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) कानून 2014 में संशोधन के लिए एक विधेयक लाया जा सकता है.
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2014 को संशोधित कर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में दो प्रावधान किए जा सकते हैं.’ बेजबरुआ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वोत्तर के लोगों की सबसे प्रमुख मांग यह थी कि ‘मोमो’, ‘चिंकी’, ‘चाइनीज’, ‘चीची चू चू’ कहकर पुकारने या नस्ल, संस्कृति, पहचान या शारीरिक भाव-भंगिमा से जुडी किसी भी अभद्र टिप्पणियों को दंडनीय बनाया जाए.
समिति ने सिफारिश की है कि आईपीसी की धारा 153 में ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे नस्लीय गुणों या नस्लीय व्यवहार एवं संस्कृति के आधार पर की जाने वाली अभद्र टिप्पणियों या भाव-भंगिमाओं के लिए पांच साल तक की जेल की सजा मिले. बेजबरुआ समिति ने यह सिफारिश भी की है कि यदि कोई उस नस्लीय समूह के सदस्यों के बीच खतरे या असुरक्षा की भावना पैदा करता है या जिससे ऐसी भावना पैदा होने की संभावना है तो उसके लिए भी सजा के प्रावधान किए जाएं.