पाकिस्तानी नाव की घुसपैठ पर भारतीय मीडिया में विरोधाभास क्यों !
– मुकुन्द हरि रांची : कल देश की सुरक्षा से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी. नए साल की शुरुआत के समय यानि 31 दिसंबर की आधी रात में पाकिस्तान के कराची शहर से चलकर भारत में गुजरात के पोरबंदर शहर के पास आ रही मछुआरों की एक पाकिस्तानी नाव को भारतीय तटरक्षकों ने देख […]
रांची : कल देश की सुरक्षा से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी. नए साल की शुरुआत के समय यानि 31 दिसंबर की आधी रात में पाकिस्तान के कराची शहर से चलकर भारत में गुजरात के पोरबंदर शहर के पास आ रही मछुआरों की एक पाकिस्तानी नाव को भारतीय तटरक्षकों ने देख लिया और उसका पीछा किया. दरअसल, कोस्ट गार्ड को इस नाव के बारे में पहले से ही खुफिया विभाग की तरफ से जानकारी मिल चुकी थी. कोस्ट गार्ड को अपना पीछा करते देख इस घुसपैठिया नाव में सवार चार संदिग्ध लोगों ने अपनी नाव दूसरी तरफ भगानी शुरू की.
उसके बाद जब भारतीय तटरक्षकों ने उसको रोकने के लिए चेतावनीपूर्ण फायरिंग की तो उन्होंने अपनी नाव रोक दी लेकिन जब तटरक्षक दल उस नाव को अपने कब्जे में करने के लिए आगे बढ़ने लगा तो घुसपैठियों ने अपनी बोट को ही आग लगा दी. आग की लपटें इतनी ज्यादा थीं जो ये बात साबित कर रही थीं कि ऐसी आग नाव के डीजल की वजह से नहीं लग सकती बल्कि नाव में गोला-बारूद होने पर ही ऐसी भीषण आग लग सकती है.
कोस्ट गार्ड के द्वारा रूकने के आदेश के बाद नौका में आग लगायी गयी, जिसके बाद पीछे से आ रही एक और नौका वापस पाकिस्तान की ओर लौट गयी. कोस्ट गार्ड ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि हमलोगों का लगातार प्रयास जारी है कि कुछ ठोस हमारे हाथ लगे लेकिन अभीतक हमें सफलता हाथ नहीं लगी है. वे किसी भी तरह से मछुआरे नहीं लग रहे थे. उन्होंने पैंट और टी शर्ट पहन रखी थी.
बताया जा रहा है कि इन आतंकियों को कराची से निर्देश दिए जा रहे थे. बातचीत के क्रम में इनके आकाओं ने कहा था कि उनके घर पांच-पांच लाख रुपये पहुंचा दिए गए हैं. वहीं पाकिस्तान ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि उनकी ओर से कोई भी नौका भारत की ओर नहीं गया है.
इसके अलावा, खुफिया विभाग की मानें तो ये लश्कर के आतंकी थे जो भारत में किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने की फिराक में थे.
इसी महीने गुजरात में ‘वायब्रेंट गुजरात’ और प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम होने वाले थे और इसमें प्रधानमंत्री भी शरीक होने वाले थे. ऐसे में आतंकियों का इरादा अगर इसे निशाना बनाने का रहे तो कोई शक नहीं किया जा सकता.
बताया जा रहा है कि लश्कर अपने आतंकियों को गोताखोरी की ट्रेनिंग भी दे रहा है ताकि वे 10 से 15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकें. लश्कर भारत में फिदाइन हमला करवाने की फिराक में हैं.
अब इतने सारे तथ्यों के सामने आने के बाद भारतीय मीडिया में इस मुद्दे पर विरोधाभास दिखाई दे रहा है.
सबसे पहले इस खबर को नया रंग देते हुए अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के पत्रकार प्रवीण स्वामी ने लिखा है कि जिस बोट में आग लगी उसमे आतंकवादी सवार नहीं थे बल्कि कुछ छोटे-मोटे तस्कर थे जो पाकिस्तान से डीजल और शराब की तस्करी करते हैं.
अपनी इस बात को लेकर प्रवीण स्वामी ने भारत और केंद्र की सरकार के ऊपर शक की उंगली उठा दी है. उन्होंने अपने लेख (Doubts mount over India’s claims of destroying ‘terror boat’ fromPakistan)में लिखा है कि इन घुसपैठियों के आतंकवादी होने के भारत के दावे पर शक होता है.
उनके इस लेख पर अंग्रेजी के एक प्रमुख न्यूज़ चैनल ‘हेडलाइंस टुडे’ के उप संपादक शिव अरूर ने आपत्ति जताई और अपने ट्विटर एकाउंट पर उन्होंने लिखा कि ‘The very first sentence of Praveen Swami’s piece is incorrect. The Coast Guard has made no such claim.’ यानि प्रवीण स्वामी की लिखी इस रिपोर्ट की पहली पंक्ति ही गलत है.
उनके इस ट्वीट को प्रसिद्द पत्रकार स्वपन दास गुप्ता ने भी रीट्वीट किया. यानि कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि शिव अरूर की बात को स्वपन दस गुप्ता ने भी महत्त्व दिया है.
उसके बाद शिव अरूर ने अपने एक और ट्वीट में ये दिखाया कि किस तरह उनकी आपत्ति के बाद प्रवीण स्वामी ने द इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखी अपनी स्टोरी में एक जगह महत्वपूर्ण बदलाव किया. प्रवीण स्वामी ने अपनी रिपोर्ट में क्लेम (दावा) शब्द को बदल कर सस्पेक्टेड (संदेहजनक) कर दिया.
ये सुधार इस बात को साबित करता है कि शायद प्रवीण स्वामी खुद अपनी ही रिपोर्ट को लेकर आश्वस्त नहीं थे. इसलिए इन आपत्तियों और आलोचनाओं की वजह से उन्हें अपनी रिपोर्ट में सुधार या बदलाव किये गए.
दूसरी तरफ देश भर की हिंदी और अंग्रेजी मीडिया में प्रमुख माने जाने वाला द हिन्दू हो या द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द टेलीग्राफ, एनडीटीवी, टाइम्स नाउ, हेडलाइन्स टुडे जैसे अंग्रेजी अखबार या न्यूज़ चैनल हों या फिर जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, एबीपी न्यूज़, आज तक जैसे हिंदी के प्रतिष्ठित अख़बार और समाचार चैनल हों, सब एक स्वर से इस बात पर सहमत हैं कि जिस बोट को हमारे कोस्ट गार्ड ने देखा और पीछा किया वो संदिग्ध थी और खुफिया विभाग को मिली जानकारी के आधार पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस नाव में आतंकी सवार थे. इस बात का भी अंदेशा मीडिया को है कि इस घुसपैठ का मकसद देश में 26/11 की ही तरह का एक और हमला करना हो सकता है.
इसके अलावा भारत का रुख आतंकवाद को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है कि देश आतंकवाद को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा. भारत ने लगातार अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी इस मुद्दे को उठाया है. शायद इसी का असर है कि आतंकवाद को लेकर भारत और यहां की जनता की एकता का लोहा पाकिस्तानी लोगों ने भी माना है.
इसी वजह से पाकिस्तान के एक प्रमुख पत्रकार मारूफ रजा ने भी टाइम्स नाउ को दिए अपने बयान में कहा है कि आतंकवाद को लेकर भारत के लोगों की सोच की मैं प्रशंसा करता हूं. आतंकवाद को लेकर भारत की जनता की सोच बिलकुल स्पष्ट है. वो किसी भी कीमत अपर अपनी जमीन पर आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करना चाहते. जबकि पाकिस्तान में ऐसी एकता और सोच की कमी है.
ऐसे में मीडिया के किसी वर्ग के द्वारा आतंक से जुड़ी ऐसी संदिग्ध गतिविधि पर सवाल उठाने पर प्रतिक्रिया होनी लाजमी है. इसके अलावा जब ये बात सामने आ चुकी है कि किस तरह से देश की खुफिया एजेंसियों को इस बाबत जानकारी पहले से ही मिल चुकी थी और इस घटना के बाद भारतीय तटरक्षक दल की तरफ से बयान सामने आने के बाद तो तस्वीर काफी हद तक साफ़ हो चुकी है.
हमेशा ये माना जाता रहा है कि इस देश में मीडिया को किसी बाहरी नियंत्रण की जरुरत नहीं है क्योंकि इस देश का मीडिया इतना सक्षम है कि वो अपना नियंत्रण खुद कर सके. शायद प्रवीण स्वामी की रिपोर्ट और उसको लेकर विभिन्न संस्थानों और विचारधाराओं से जुड़े देश के बड़े पत्रकारों की आपत्ति हमारे देश की मीडिया की स्व-नियंत्रण और आत्म-सुधार की उसी क्षमता को दर्शाती है.
इसके साथ ही हम सबको ये समझना होगा कि आतंक जैसे गंभीर विषय पर हम हमेशा एक रहे हैं और आगे भी रहेंगे. हमारा कोई भी अपरिपक्व या गैर जिम्मेदाराना कदम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर हमारी किरकिरी कर सकता है.