आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओ में एकता की वकालत की
अहमदाबादः आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत ने आज आरएसएस सम्मेलन के आखिरी दिन संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर हिंदू खतरे में आया तो पूरा देश खतरे में आ जायेगा. उन्होंने कहा भारत एक हिंदू देश है और हिंदूओं में बहुत उदारता होती है. सबको स्वीकार करने और विविधताओं में ताकत ढूंढ़ने […]
अहमदाबादः आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत ने आज आरएसएस सम्मेलन के आखिरी दिन संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर हिंदू खतरे में आया तो पूरा देश खतरे में आ जायेगा. उन्होंने कहा भारत एक हिंदू देश है और हिंदूओं में बहुत उदारता होती है. सबको स्वीकार करने और विविधताओं में ताकत ढूंढ़ने और एकता के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया. भागवत ने इस मौके पर हिंदूओं को एकजुट होने का भी आह्वान किया.
भागवत ने कहा, भारत दुनिया का बड़ा भाई है. देश की ताकत को सबको समझना होगा. उन्होंने बढ़ते आतंकवाद का कारण कट्टरता को बताया. उन्होंने आरएसएस को संस्कार देने वाला संगठन बताते हुए कार्यकर्ताओं से हिंदू समाज को संगठित करने और मजबूत करने को कहा. साथ ही उन्होेने कहा कि वे मतभेदों से दूर रहे और देश सेवा में लगे रहे. उन्होंने कहा, अगर हिंदू समाज खतरे में है, तो देश खतरे में हैं. सबको स्वीकार करो, सबको साथ लेकर चलो. समाज सरकार पर निर्भर है लेकिन समाज को केवल सरकार के भरोसे नहीं रहना चाहिए. सरकार चाहे कितनी भी अच्छी हो सब कुछ नहीं कर सकती. विविधता में एकता हमारी पहचान है.
अगर हिंदू एक हो जाए तो देश की तरक्की पक्की है. इस मौके पर उन्होंने उन महापुरुषों को भी याद किया जिन्होंने देश के विकास के लिए बलिदान दिया. उन्होंने उन दिनों को भी याद किया जब इस देश को सोने की ची़ड़िया कहां जाता था. भागवत ने कहा, हम उस वक्त गरीब नहीं थे जब हम गुलाम हुए. सच तो यह है कि उस वक्त हम कमजोर भी नहीं थे. हमारे पास बहुत ताकत थी लेकिन मुट्ठी भर लोगों ने हमारे ही देश के लोगों को कर्मचारी रखकर हम पर इतने सालों तक शासन किया. इसका बड़ा कारण है हममें एकता की कमी थी. इसलिए हमें एकजुट होना होगा और देश के विकास के लिए मिलकर काम करना होगा.