अमेरिका ने पाक को दिया आतंक के खिलाफ लड़ने का सर्टिफिकेट, भारत ने जताई आपत्ति
नयी दिल्लीः अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंक विरोधी देश के रूप में सर्टिफिकेट दे दिया है. इस सर्टिफिकेट से पाकिस्तान बेहद फायदे में है. एक तो उसकी तरफ उठने वाली ऊंगली को अब अमेरिका के दिये इस सर्टिफिकेट का ध्यान रखना होगा दूसरे इस सर्टिफिकेट से पाक को और आर्थिक मदद मिल सकती है. अमेरिका […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
January 5, 2015 3:21 PM
नयी दिल्लीः अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंक विरोधी देश के रूप में सर्टिफिकेट दे दिया है. इस सर्टिफिकेट से पाकिस्तान बेहद फायदे में है. एक तो उसकी तरफ उठने वाली ऊंगली को अब अमेरिका के दिये इस सर्टिफिकेट का ध्यान रखना होगा दूसरे इस सर्टिफिकेट से पाक को और आर्थिक मदद मिल सकती है. अमेरिका की इस नीति से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को हुआ है. भारत पाक की तरफ से प्रायोजित आतंकवाद से परेशान है.
भारत अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं चाहता. दूसरी तरफ पाकिस्तान संघर्ष विराम का बार – बार उल्लंघन कर सीमा पार से आतंकियों को भारत में प्रवेश कराने के फिराक में है. भारत को इस बात के पक्के सबूत मिले हैं कि पाकिस्तान सीमा पार से अपनी नापाक हरकतों को और तेज कर रहा है. रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने भी आज अपने बयान में इसकी पुष्टि कर दी.
पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सीमा पर मजबूती के साथ खड़ा है. लेकिन अमेरिका ने पाकिस्तान को एक ऐसा सर्टिफिकेट दे दिया जिससे भारत के लिए नयी मुश्किलें खड़ी हो गयी. अमेरिका ने इस सर्टिफिकेट के तहत नवाज शरीफ सरकार को आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला बताया है.
भारत पाकिस्तान की संदिग्ध नाव को लेकर आतंरिक रूप से राजनीतिक उथल पुथल का सामना कर रहा है, तो दूसरी तरफ सीमा पर नयी मुश्किलें खड़ी है. ऐसे में पाकिस्तान को अमेरिका के द्वारा दी गयी सर्टिफिकेट से भारत के लिए नयी मुश्किलें खड़ी हो गयी है. अमेरिका, भारत और पाकिस्तान को लेकर दोहरी रणनीति अपना रहा है.
एक तरफ अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर आतंक के साथ लड़ने की बात कहता है दूसरी तरफ आतंक की फैक्ट्री को आतंकवाद से लड़ने वाले देश के रूप में सर्टिफिकेट दे देता है. अमेरिका के इस कदम के कई मायने हैं. इस सर्टिफिकेट के साथ पाकिस्तान को अमेरिका से और आर्थिक मदद मिलने का रास्ता साफ हो गया है. अमेरिका ने ऐन मौके पर इस तरह का फैसला लिया है.
विदेश मंत्री जॉन केरी भारत के दौरे पर आने वाले हैं ऐसे में पाक को मिले इस सर्टिफिकेट का कितना असर उनके भारत दौरे पर पड़ेगा और भारत इस मौके पर किस तरह के सवाल खड़े करेगा ये केरी के दौरे के दौरान ही पता चलेगा. जॉन केरी के इस सर्टिफिकेट से पाकिस्तान ‘केरी-लुगार बिल’ के तहत अमेरिका से सहायता पैकज पाने का हकदार हो गया है. इस बिल में आतंक के खिलाफ कार्रवाई को महत्वपूर्ण शर्त माना गया है, जिसकी पूर्ति के बाद ही अमेरिका से आर्थिक सहायता को हरी झंडी मिलती है.
अब राष्ट्रपति बराक ओबामा जल्द ही पाकिस्तान को आर्थिक सहायता जारी करने का बड़ा फैसला ले सकते हैं. इस सर्टिफिकेट के सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा क्योंकि यह फैसला उस वक्त लिया गया है जब पाक लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है और इसकी ओट में आतंकी घुसपैठ कर रहे हैं. शनिवार को भी जम्मू के कठुआ सेक्टर में सेना ने गांव वालों के वेश से ऐसे ही घुसपैठ को रोकने में कामयाबी हासिल की है. भारत आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है.
मुंबई हमले के आरोपियों समेत हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान का रुख किसी से छुपा नहीं है. आतंकी जकी-उर- रहमान लखवी के रिहा होने पर भारत की कड़ी आपत्ति के बाद पाक उस पर कार्रवाई करने के लिए राजी हुआ. पोरबंदर में हाल ही हुए बोट मामले के तार सीधे तौर पर कराची से जुड़ने के पक्के सबूत मिले हैं.
ऐसे में अमेरिका की दोहरी रणनीति से सबसे बड़ा नुकसान भारत को होता नजर आ रहा है. संभव है कि भारत इन पूरे मसलों पर जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जॉन केरी से सवाल कर सकता है. ओबामा मुख्य अतिथि के तौर पर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उपस्थित होंगे. जबकि उनके दौरे के पहले ही जॉन केरी वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे.