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मोदी के लिए क्यों खास है वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम
गुजरात में इन दिनों सरकारी स्तर पर दो बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. बुधवार को यहां प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन हुआ है जो दो दिनों तक चलेगा. यह आयोजन देश में हर साल 9 जनवरी को मनाया जाता है और इसी कड़ी में इस बार इसके आयोजन की मेजबानी गुजरात के जिम्मे […]
गुजरात में इन दिनों सरकारी स्तर पर दो बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. बुधवार को यहां प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन हुआ है जो दो दिनों तक चलेगा. यह आयोजन देश में हर साल 9 जनवरी को मनाया जाता है और इसी कड़ी में इस बार इसके आयोजन की मेजबानी गुजरात के जिम्मे थी. इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आये थे. इस दिवस को मनाने की शुरुवात सन 2003 से हुई थी.
देश के सर्वश्रेष्ठ प्रवासी महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापसी के 100 वर्ष पूरे होने को समर्पित यह समारोह ‘भारत को जानो, भारत को मानो’ पर केंद्रित है. इसको लेकर एक व्यापार-प्रदर्शनी भी वाइब्रेंट गुजरात समिट के तहत आयोजित की गई है. समिट 11 से 13 जनवरी तक होनी है, जबकि प्रवासी भारतीय दिवस सात से नौ जनवरी को आयोजित हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रवासी भारतीय दिवस का औपचारिक उदघाटन किया है और इसके बाद वो वाइब्रेंट गुजराज समिट का उदघाटन 11 जनवरी को करेंगे.
इन आयोजनों से क्या फायदा मिल सकता है देश और नरेंद्र मोदी सरकार को !
पिछले साल मई में 30 साल बाद देश में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत के बाद सरकार बनाने का मौका मिला है. इस चुनाव में बीजेपी की तरफ से पीएम पद के घोषित उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी ने जमकर मेहनत की थी और पूरे देश को अपनी सरकार बन जाने के बाद देश का चहुंमुखी विकास करने का वादा किया था.
सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी ने दुनियाभर के प्रमुख देशों का दौरा किया था और हर जगह उन्होंने भारत में निवेश को लेकर मौजूद अनुकूल माहौल और संभावनाओं का बखान किया था.
अपने गृह प्रदेश गुजरात में सफलतापूर्वक खुद को साबित करने के बाद मोदी ने अपने विकास के गुजरात मॉडल को देश के लिए भी आजमाने की बात कही थी. इसी वजह से गुजरात में आयोजित हो रहे इन कार्यक्रमों में रूचि के साथ शिरकत कर रहे हैं ताकि इस बहाने वो विदेशी और अप्रवासी भारतीय लोगों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित और आश्वस्त कर सकें.
चाहे अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया या फिर जापान, हर जगह मोदी ने निवेशकों को भारत में आकर निवेश करने के लिए उत्साहित और आमंत्रितकिया. अमेरिका में न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध मेडिसन स्क्वायर में मोदी की जन सभा में रिकॉर्ड भीड़ जुटी थी जो इस बात का सबूत थी कि मोदी को लेकर भारत के बाहर भी लोगों में कितनी ज्यादा स्वीकार्यता है.
इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में भी मोदी ने एक बड़ी जन सभा को संबोधित किया था और विदेशी निवेशकों के साथ-साथ अप्रवासी और भारतीय मूल के लोगों से भारत में निवेश करने और देश के विकास की रफ्तार को तेज करने में मदद करने की अपील की थी.
मोदी ने विदेश के अपने दौरों पर कहा था कि उनके नेत्तृत्व वाली सरकार पहले से चले आ रहे पुराने और लोगों को बेवजह परेशान करने वाले कानूनों को खत्म करने का काम कर रही है. उन्होंने अप्रवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (पीआइओ) को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उनको भारत आने के लिए दिए जाने वाले वीजा की परेशानियों को समाप्त करने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया था. मोदी ने कहा था कि उन लोगों को अब भारत आने पर वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा भारतीय मूल के नागरिकों को (पीआइओ) से सम्बंधित नागरिकता कानून पर भी सरकार ने काम किया है.
इसी कड़ी में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागरिकता अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिये हैं. अध्यादेश के जरिये नागरिकता कानून में किये जानेवाले संशोधनों से भारतीय मूल के लोग (पीआइओ) लोगों को फायदा होगा. इस अध्यादेश से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के लोगों को दिया गया आश्वासन पूरा होगा.
विदेश में रह रहे भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को ये सुविधायें दिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां प्रवासी भारतीय सम्मेलन में कहा कि आज पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई है. दुनिया के सामने भारत आशा की एक किरण लेकर बैठा हुआ है. इससे भारत की जिम्मेवारियां बढ़ गयी हैं. उन्होंने कहा कि एक समय जिन परेशानियों का सामना प्रवासियों को करना पड़ रहा था, हमारी सरकार ने उन समस्याओं का समाधान कर दिया है. दुनिया के लगभग 43 देशों के प्रवासियों का वीजा ऑन अराइवल पर सरकार ने फैसला ले लिया है. अब से उन्हें वीजा ऑन अराइवल मिलेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासियों की एक और बड़ी समस्या उनके भारत आने पर हर हफ्ते थाने में हाजिरी लगाने की थी. उसे भी अब समाप्त कर दिया गया है. इसके अलावे दिल्ली में प्रवासियों के लिए नये भवन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. दुनिया के हर देश में हमारे देश के होनहार अपना परचम लहरा चुके हैं. विदेशों में सिर्फ कोई एक भारतीय मूल का व्यक्ति नहीं रहता है, बल्कि वहां पूरा भारत बसता है. प्रवासियों की वजह से आज भारत वैश्विक बन गया है.
सरकार के लिए बड़े मंच साबित हो सकते हैं ये कार्यक्रम
दरअसल, इन आयोजनों की मदद से सरकार देश के बाहर रह रहे लोगों और विदेशी निवेशकों को यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि भारत में नई सरकार आने के बाद चीजें बदल चुकी हैं और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में यह सरकार ऐसा माहौल तैयार करना चाहती है जिसमें इस देश के विकास के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को किसी तरह की परेशानी और लालफीताशाही का सामना नहीं करना पड़े.
मोदी सरकार की ये सोच सही भी है क्योंकि पूर्व में विदेश से भारत में निवेश करने के लिए आने वाले तमाम अप्रवासी भारतीयों और अन्य निवेशकों ने ये शिकायत की थी कि इस देश में निवेश करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यहां की अफसरशाही और काम-काज की सरकारी गति बहुत ज्यादा धीमी और परेशान करने वाली है. इसी वजह से अतीत की सरकारों की लाख कोशिशों के बावजूद तमाम निवेशक चाहकर भी भारत में निवेश करने से कतराते थे.
लेकिन जब से इस देश नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता सम्हाली है, तबसे उनका और उनकी सरकार का ये लगातार प्रयास रहा है कि सरकारी स्तर पर निर्णय लेने की क्षमताओं में तेजी लायी जाये. इसके साथ ही मोदी ने ये सुनिश्चित किया है कि काम-काज में पारदर्शिता हो और लालफीताशाही की वजह से निवेश करने वालों को बेवजह परेशानी न हो.
कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि गुजरात में हो रहे इन आयोजनों ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके और अब देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए देश में विदेशी निवेशकों को बुलाने और सरकार की तरफ से उनको हर संभव मदद देने के निश्चय को दर्शाने का प्रबल मंच साबित हो सकता है.
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