नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर से जुडे मामले देखने वाली डिवीजन के पास विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत आने वाले क्षेत्रों के बारे में राज्य सरकार के किसी पत्र की प्रति नहीं है.
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गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर डिवीजन में ‘अफ्सपा’ के रिकार्ड नहीं
नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर से जुडे मामले देखने वाली डिवीजन के पास विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत आने वाले क्षेत्रों के बारे में राज्य सरकार के किसी पत्र की प्रति नहीं है. कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशएटिव के कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने आरटीआइ के जरिए इस डिवीजन से ‘अफ्सफा’ की […]
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशएटिव के कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने आरटीआइ के जरिए इस डिवीजन से ‘अफ्सफा’ की धारा तीन के तहत जारी अधिसूचनाओं के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा जारी पत्रों का ब्यौरा मांगा था.
धारा तीन के तहत राज्य सरकार राज्य के समूचे या किसी हिस्से को एक गजट अधिसूचना के तहत अशांत क्षेत्र घोषित करती है और यह सशस्त्र बलों के इस्तेमाल की इजाजत देता है.नायक द्वारा गृह मंत्रालय को किए गए सवाल को जम्मू-कश्मीर डिवीजन को भेजा गया जो यहां राज्य के मामलों को देखता है.
सवाल के जवाब में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी और डिवीजन में निदेशक ने बताया, ‘‘इस बारे में, यह बताया जाता है कि सशस्त्र बल (जम्मू-कश्मीर) विशेष अधिकार अधिनियम 1990 की धारा तीन के तहत सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर सरकार से प्राप्त हुए किसी पत्र के बारे में इस डेस्क में ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिला है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह से सूचना को ‘कुछ नहीं’ (शून्य) के तौर पर लिया जा सकता है.’’
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