राष्ट्रपति मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने दी सिरीसेना को बधायी
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मैत्रीपाल सिरीसेना के विजयी होने पर उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के संबंध और मजबूत होने की कामना की. मुखर्जी ने अपने बधाई संदेश में विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में दोनों देश […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मैत्रीपाल सिरीसेना के विजयी होने पर उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के संबंध और मजबूत होने की कामना की.
मुखर्जी ने अपने बधाई संदेश में विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में दोनों देश साथ मिल कर काम करना जारी रखेंगे और द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे.
राष्ट्रपति ने ट्वीट के जरिए कहा, श्रीलंका का राष्ट्रपति चुने जाने पर मैत्रिपाल सिरीसेना को बधाई और गर्मजोशी भरी शुभकामनाएं. श्रीलंका में शांति और विकास के सफल होने तथा वहां की जनता की प्रगति और खुशहाली की कामना करता हूं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिरीसेना को उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई देते हुए उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया.
I spoke to Shri Maithripala Sirisena & congratulated him. I congratulate the people of Sri Lanka on the peaceful & democratic poll process.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2015
इसकी आशंका पहले से ही लगाई जा रही थी. करीब 70 प्रतिशत मतदान होने के बाद ही जानकारों ने इस तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए थे. मैथ्रिपाला सिरिसेना की जीत पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है.
मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि मैंने परिणाम आने के बाद मैथ्रिपाला सिरिसेना से फोन पर बातकर उन्हें बधाई दी है. मैं श्रीलंका की जनता को मतदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं. उनके इस कार्य से लोकतंत्र मजबूती हुआ है.
As a close friend & neighbour, reaffirmed India's continued solidarity & support for Sri Lanka's peace, development & prosperity.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2015
उल्लेखनीय है कि चुनाव में 19 उम्मीदवार थे. लेकिन मुख्य मुकाबला दो बार राष्ट्रपति रहे 69 वर्षीय राजपक्षे तथा उनके पूर्व मंत्रिमंडल सहकर्मी 63 वर्षीय सिरीसेना के बीच था. राजपक्षे ने छह साल के तीसरे कार्यकाल के लिए जीत की उम्मीद से तय समय से दो साल पहले ही राष्ट्रपति पद का चुनाव कराने का फैसला किया था.