सुनंदा पुष्कर मामला : थरुर ने कहा, पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भरोसा नहीं
नयी दिल्ली : देश के हाई प्रोफाइल सुनंदा पुष्कर मृत्यु मामले में पिछले कई दिनों से गरमा-गरम बहस तेज हो गई है. मीडिया में भी सुनंदा की मौत पर एम्स की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और दिल्ली पुलिस की तरफ से एसआइटी द्वारा जांच की घोषणा के बाद तरह-तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं. ये […]
नयी दिल्ली : देश के हाई प्रोफाइल सुनंदा पुष्कर मृत्यु मामले में पिछले कई दिनों से गरमा-गरम बहस तेज हो गई है. मीडिया में भी सुनंदा की मौत पर एम्स की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और दिल्ली पुलिस की तरफ से एसआइटी द्वारा जांच की घोषणा के बाद तरह-तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं. ये खबर भी सामने आई थी कि दिल्ली पुलिस की तरफ से इस संदिग्ध मौत को लेकर एफआइआर दर्ज करने और जांच को आगे बढ़ाने की खबर के बीच सुनंदा के पति और पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के नेता शशि थरूर केरल में अपना आयुर्वेदिक इलाज कर रहे थे. इस मामले पर बात इतनी आगे तक चले जाने के बावजूद अभी तक थरूर की तरफ से खुलकर कोई बयान सामने नहीं आया था.
अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के बारे में जांच के तरीके पर चिंता जताते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने आज मांग की कि बिना किसी राजनीतिक दबाव या हस्तक्षेप तथा पूर्व निर्धारित नतीजे के बिना पेशेवर पुलिस जांच करवायी जानी चाहिए. उन्होंने जल्द ही मौका मिलने पर दिल्ली पुलिस के सवालों का जवाब देने की पेशकश भी की. दिल्ली पुलिस ने थरुर की पत्नी की रहस्यमय मौत के करीब एक साल बाद कुछ ही दिन पहले हत्या का मामला दर्ज किया था. थरुर ने इसके बाद पहली बार मीडियाकर्मियों से मुलाकात कर कहा कि वह निष्पक्ष जांच में पूरा सहयोग देंगे. थरुर यहां के समीप दो हफ्ते से आयुर्वेदिक उपचार करवा रहे थे. पुलिस आयुक्त को लिखे पत्र में थरुर ने कहा कि वह जल्द ही मौके की तलाश में हैं जब कि वह पुलिस जांचकर्ताओं के सवालों का जवाब दे सकें.
उन्होंने कहा, यह बेहद आवश्यक है कि यह जांच पेशेवर ढंग से की जाये बिना किसी राजनीतिक दबाव या हस्तक्षेप के तथा इसमें कोई पूर्व निर्धारित नतीजा भी नहीं होना चाहिए. थरुर ने कहा कि वह पुलिस द्वारा हत्या का मामला दर्ज किये जाने से सकते में आ गये क्योंकि परिवार के पास यह मानने का कोई कारण नहीं था कि सुनंदा की मौत में कुछ गडबडी है.
थरुर ने कहा, मैं पूरी तरह से सकते में आ गया था क्योंकि परिवार में से किसी का भी यह मानना नहीं था कि उसके निधन में किसी तरह की कुछ गडबडी हुई है. हर कोई सुनंदा को प्यार करता था तथा किसी के द्वारा उसे नुकसान पहुंचाने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा, उस तक पहुंच रखने वाले किसी भी व्यक्ति के पास उसे नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी करने का कोई कारण नहीं है. लेकिन मैं जांच में पूरे सहयोग की प्रतिबद्धता जताता हूं. तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले 58 वर्षीय थरुर ने कहा, लोगों को अपना काम करने दीजिये. हम चाहते हैं कि इस मामले का पटाक्षेप हो और सुनंदा सहित सभी के प्रति न्याय हो. उन्होंने कहा कि मामले के सम्बंध में आ रही बहुत सी चीजें मसलन अनावश्यक विवाद, कुप्रचार एवं कई बार पूरी तरह से झूठ हैं.
थरुर ने कहा, मैं पिछले एक साल से परेशान हूं. हम इस प्रक्रिया को चाहते हैं ताकि उसको (सुनंदा को), उसके परिजनों को और पति के रुप में मुझ सहित सभी को न्याय मिल सके. उन्होंने कहा, मैंने अपनी पत्नी गंवायी है. मुझे एक साल से अधिक समय तक शोक नहीं मनाने दिया गया. मैं बहुत पीड़ा से गुजरा हूं. मामले में नई प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उनके द्वारा चुप्पी साधने को लेकर हो रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए थरुर ने कहा, मैं एक साल से इस पर चुप था क्योंकि पुलिस जांच जारी है. कारण बहुत सरल है. निश्चित तौर पर जब पुलिस जांच जारी हो तो यह मेरा दायित्व बन जाता है कि जांच को किसी भी तरह कमतर नहीं किया जाये या उससे समझौता न हो.
उन्होंने मीडया खबरों में अनावश्यक सार्वजनिक विवाद एवं विकृति पर खिन्नता जतायी. थरुर ने इस बारे में किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार करते हुए कहा कि वह एक बेहद निजी त्रासदी पर सार्वजनिक बहस में नहीं उलझेंगे. उन्होंने मीडिया से ऐसी निजी त्रा =सदियों की खबरें देते समय कुछ संवेदनशीलता और मानवीय गरिमा दिखाने को कहा.
गौरतलब है कि सुनंदा की मौत के कारणों में पहले दो अहम कारणों में नींद और घबराहट के इलाज में दी जाने वाली दवा अल्प्राजोलम और ल्यूपस नाम की बीमारी जैसे कारण गिनाये गए थे.
एम्स के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में इन दोनों कारणों को ये कहकर ख़ारिज कर दिया कि सुनंदा के विसरा की जांच में अल्प्राजोलम दवा का कोई अंश नहीं पाया गया है और दूसरा ये कि सुनंदा को ल्यूपस की बीमारी के कोई लक्षण एम्स के डॉक्टरों को नहीं मिले. सुनंदा के परिवार ने पहले ये कहा था कि सुनंदा को ल्यूपस की बीमारी थी जिसके लिए वो बड़ी मात्रा में दवाएं लेती थीं.