केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय (supreme court of india) को अवगत कराया है कि राज्यों द्वारा दी गयी सूचना के आधार पर नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (National Informatics Centre) के परामर्श से विकसित पोर्टल पर करीब 27.45 करोड़ असंगठित मजदूरों या प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया गया है. केंद्र सरकारऔर संबंधित राज्य सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जा सके. केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ को जानकारी दी.
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शीर्ष अदालत ने कहा कि पंजीकरण का एक उद्देश्य यह है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों तक पहुंच सके. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ( Additional Solicitor General) ने अनुपालन रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया. इस पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को सभी राज्यों से वांछित जानकारियां हासिल करने का निर्देश दिया है ताकि असंगठित मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए आदेश जारी किया जा सके.
पीठ ने कहा, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया जाता है कि वे केंद्र सरकार की आवश्यकता के अनुरूप सभी संबंधित जानकारियां उपलब्ध करायें, ताकि केंद्र सरकार सुनवाई की अगली तारीख को न्यायालय के समक्ष व्यापक रिपोर्ट पेश कर सके. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है.
वैसे लोग जो किसी दूसरे के घरों में काम कर अपना पेट पालते हैं, या किसी अन्य असंगठित क्षेत्रों में मजदूरी करते है उन्हें असंगठित मजूदरों की श्रेणी में रखा गया है. वहीं, उन मजदूरों को भी सरकार ने असंगठित श्रमिक माना है जो सरकारी कर्मचारी नहीं है. सरकार इन्हीं लोगों के आंकड़े जुटा रही है. इसमें कंस्ट्रक्शन, माइग्रेंट, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर, स्ट्रीट वेंडर्स, डोमेस्टिक और एग्रीकल्चर वर्कर्स शामिल हैं.